
नई दिल्ली : देश की सबसे अहम ऐतिहासिक इमारतों में से एक लाल किले के रख-रखाव, डवलपमेंट, मेनटेनेंस और ऑपरेशन का ठेका 25 करोड़ रुपए में 5 साल के लिए एक निजी कंपनी डालमिया ग्रुप को देने के फैसले पर बवाल खड़ा हो गया है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस और राष्ट्रीय जनता दल ने सरकार के इस फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस ने पूछा कि एक निर्वाचित सरकार आखिर सरकारी इमारतों को निजी हाथों में कैसे सौंप सकती है?
कांग्रेस ने कुछ सरकारी स्थल का विकल्प देकर पूछा सवाल
सरकार की अडॉप्ट हेरिटेज प्रॉजेक्ट को लेकर कांग्रेस ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पूछा कि सरकार ऐतिहासिक महत्व की इमारतों को उद्योगपतियों के हाथों में कैसे सौंप सकती है? उसने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से इस फैसले पर निशाना साधते सरकार से पूछा कि कि अब सरकार किस प्रतिष्ठित स्थल को प्राइवेट कंपनी के हवाले करेगी? इस प्रश्न के उत्तर के लिए उसने विकल्प में संसद, लोक कल्याण मार्ग, सुप्रीम कोर्ट या इनमें से सभी को चुनने का विकल्प दिया है।
तेजस्वी ने भी उठाया सवाल
कांग्रेस के अलावा राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव भी ट्वीट कर सरकार के इस फैसले पर अपना विरोध जताया है। उन्होंने लिखा है कि मोदी सरकार की ओर से इसे लाल किले का निजीकरण करना कहोगे, गिरवी रखना कहोगे या बेचना। अब प्रधानमंत्री का स्वतंत्रता दिवस का भाषण भी निजी कंपनी के स्वामित्व या नियंत्रण वाले मंच से होगा। ठोंको ताली। जयकारा भारत माता का!'
प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले रोशनी का करेगी इंतजाम
खबर के अनुसार, कंपनी 30 दिनों के अंदर लाल किले के अंदर काम शुरू कर देगी। उसे 5 साल के लिए लाल किले की पूरी जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी। कंपनी की योजना 15 अगस्त को प्रधानमंत्री के संबोधन से पहले लाल किले के अंदर रात में रोशनी का बेहतरीन इंतजाम करने की है।
क्या है अडॉप्ट हेरिटेज योजना
अडॉप्ट हेरिटेज प्रॉजेक्ट के तहत देशभर के महत्वपूर्ण स्मारकों के रखरखाव, डवलपमेंट, मेनटेनेंस और ऑपरेट करने की जिम्मेदारी निजी हाथों में दी जाएगी। गौरतलब है कि अडॉप्ट हेरिटेज प्रॉजेक्ट के तहत 90 से ज्यादा स्मारक गोद लेने के लिए उपलब्ध हैं।
Published on:
28 Apr 2018 07:28 pm
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