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पांच बड़ी मांगों के चलते केजरीवाल चाहते हैं दिल्ली की ताकत

पांच बड़ी मांगों के चलते केजरीवाल चाहते हैं दिल्ली की ताकत

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पांच बड़ी मांगों के चलते केजरीवाल चाहते हैं दिल्ली की ताकत

नई दिल्ली। दिल्ली का असली बॉस कौन होगा बुधवार यानी आज इसपर सुप्रीम कोर्ट की मुहर लग जाएगी। फैसला आने वाला है। पिछले साल 2 नवंबर से इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी और एक महीने की लंबी सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 दिसंबर 2017 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट सुबह साढ़े 10 बजे से सुनवाई शुरू करेगा और 11 बजे तक फैसला आ जाने की उम्मीद है। लेकिन दिल्ली की ताकत को लेकर ये बहस शुरू क्यों हुई...दिल्ली के सीएम होते हुए भी केजरीवाल आखिर क्यों खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। आइए आपको बताते हैं केजरीवाल की वो पांच बड़ी मांग जिसके चलते वे चाहते हैं दिल्ली का पावर....


केजरीवाल की पांच बड़ी मांग
नियुक्ति, ट्रांसफर और पोस्टिंग कुछ हाथ में नहीं
1. दिल्ली का सीएम होते हुए भी अरविंद केजरीवाल के पास चपरासी से लेकर अधिकारियों की नियुक्ति ट्रांसफर-पोस्टिंग और उनके खिलाफ कार्यवाही करने का अधिकार नहीं रह गया इसलिए सरकारी मुलाजिम चुनी हुई सरकार के आदेश नहीं मानते।


शिक्षकों की भर्ती में भी असहाय
2. केजरीवाल इसलिए भी परेशान हैं क्योंकि सेवा विभाग उप राज्यपाल के अधीन कर दिया गया है...ऐसे में गेस्ट टीचर्स को परमानेंट करना हो या फिर नए शिक्षकों की नियुक्ति केजरीवाल पूरी तरह असहाय हैं।


मोहल्ला क्लीनिक संचलान में दिक्कत
3. दिल्ली की जनता के लिए केजरी सरकार ने कई बड़े फैसले लिए इनमें मोहल्ला क्लीनिक बड़ी उपलब्धि रही...लेकिन सेवा विभाग सरकार के अधीन ना होने से कई नए बनाए गए मोहल्ला क्लीनिक के संचालन में केजरी सरकार को समस्या आ रही है। खास तौर पर डॉक्टर पैरामेडिकल और नर्सिंग स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो पाई।


अधिकारी नहीं सुनते बात
4. एलजी के अधीन एंटी करप्शन ब्रांच दिए जाने के बाद से केजरीवाल सरकार भ्रष्ट कर्मचारियों और अधिकारियों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं कर पा रही है, ऐसे में अधिकारी अपनी मनमानी करते हैं और केजरीवाल सरकार की बात ही नहीं सुनते।


फाइलों की मंजूरी के लिए लंबा इंतजार
5. केजरीवाल सरकार की बड़ी समस्याओं में एक परेशानी यह भी है कि उन्हें हर फाइल को मंजूरी के लिए उपराज्यपाल को भेजना जरूरी है ऐेसे में कई बार जरूरी फाइलें लंबे समय तक एलजी के पास होने से काम आगे नहीं बढ़ता।

बहरहाल ये बड़ी मांगे हैं जिसके चलते केजरीवाल सरकार लगातार दिल्ली में अपनी ताकत चाहती है। केजरीवाल की माने तो एलजी को दिए गए कई सारे अधिकार दिल्ली के विकास में रोड़ा बन रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मामले में कई बार दखल देने की बात कही लेकिन फायदा नहीं हुआ। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद अब सबकी निगाहें कोर्ट के फैसले पर टिकी हैं। आज फैसला हो जाएगा कि दिल्ली पर किसकी हुकूमत चलेगी।