
देवेंद्र फडणवीस और उद्धव ठाकरे (फाइल फोटो)
मुंबई। महाराष्ट्र में एक महीने तक चला हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा बीते नवंबर को खत्म हो गया, लेकिन अब वहां के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक बड़ा खुलासा किया है। सोमवार को फडणवीस ने पहली बार बताया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद सत्ता के बंटवारे के बारे में उन्होंने शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे से बात करने के बारे में पूछा था, लेकिन उन्होंने मुलाकात से ही इनकार कर दिया।
दरअसल सोमवार को देवेंद्र फडणवीस पुणे में पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे और इस दौरान ही उन्होंने महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर हुए घटनाक्रम के बारे में खुलासा किया। फडणवीस ने बताया कि वह उद्धव ठाकरे से सत्ता के समीकरण बिठाए जाने के बारे में चर्चा करने की बार-बार कोशिश में जुटे हुए थे और कई बार फोन कर रहे थे, लेकिन ठाकरे ने उनकी कॉल भी नहीं उठाई।
इस बात पर एक पत्रकार ने सवाल किया कि अगर ठाकरे मुलाकात नहीं कर रहे थे तो वह मुंबई स्थित उनके आवास मातोश्री क्यों नहीं चले गए। इस पर फडणवीस ने बताया, "मैंने इसकी कोशिश की थी, मैंने उन्हें बताया था कि मैं आऊंगा, लेकिन उन्होंने मना कर दिया... यह किसी एक व्यक्ति की बात नहीं थी। अगर कोई कहता है कि मत आना और वह बात नहीं करना चाहता, तो वहां जाने का कोई मतलब नहीं।"
हालांकि शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा था, "हमने पहले ही कहा था कि अगर वो 50-50 फीसदी सत्ता के बंटवारे पर हुए समझौते से इनकार कर रहे हैं, तो हमें उनसे चर्चा करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। लेकिन हमने मातोश्री में आने से कभी ना नहीं किया।"
एनसीपी नेता अजीत पवार के साथ सरकार बनाने की अपनी नाकाम कोशिश के बाद उनकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाने के सवाल पर फडणवीस ने कहा कि सत्ता के लिए 23 नवंबर की बोली प्रासंगिक बने रहने का प्रयास था।
उन्होंने कहा, "राजनीति में, आपको प्रासंगिक बने रहना होता है। शुरुआत में हम शिवसेना द्वारा हमसे संपर्क करने की प्रतीक्षा कर रहे थे... हमने कभी नहीं सोचा था कि शिवसेना कांग्रेस के साथ हाथ मिलाएगी। यहां तक कि जब हम शिवसेना की प्रतीक्षा कर रहे थे, तब राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया था... उसके बाद हमने महसूस किया कि वे सभी... हमें अप्रासंगिक बना रहे थे।
उन्होने आगे कहा, "जिस पार्टी ने अधिक वोट प्रतिशत और सीटों की संख्या हासिल की थी, उसे दरकिनार किया जा रहा था... इस स्थिति में, जब अजीत पवार हमारे पास आए, तो हमने सोचा कि हमें प्रासंगिक बने रहना चाहिए। इसलिए ऐसे वक्त में जब हमें अप्रासंगिक बना दिया गया था, हमने छापामार युद्ध रणनीति का सहारा लिया और इसे एक अवसर माना"
Updated on:
24 Dec 2019 02:58 pm
Published on:
24 Dec 2019 02:56 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
