
इस बार संसद का मॉनसून सत्र अजीबोगरीब परिस्थितियों में हो रहा है।
नई दिल्ली। एक तरफ कोरोना वायरस महामारी और भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर तनाव का माहौल है तो दूसरी तरफ संसद के अंदर विपक्षी खेमे में व्यापक फेरबदल से अजीबोगरीब स्थिति है। इन पहलुओं को ध्यान में रखते हुए राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ( Ghulam Nabi Azad ) ने संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले बड़ा बयान दिया है।
सीमा पर तनाव का माहौल
उन्होंने कहा कि इस बार मॉनसून सत्र अजीबोगरीब परिस्थितियों में हो रहा है। पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन की सेना आमने-सामने है। युद्ध की आशंका की वजह से तनाव का माहौल है।
आर्थिक हालात खराब
दूसरी तरफ कोरोना वायरस महामारी की वजह से देश की जीडीपी गिर चुकी है। इसलिए महंगाई और नई शिक्षा नीति जैसे कई मुद्दे हैं जिन पर चर्चा जरूरी है। ये ऐसे मुद्दे हैं जिनके बारे में देश की जनता जानना चाहती है।
शीर्ष नेतृत्व से देशवासियों की उम्मीदें पहले से ज्यादा
इसके साथ ही गुलाम नबी आजाद ने कहा कि इस बार सांसदों में भी भय का माहौल है। संसद का सत्र बहुत ही कठिन स्थिति में शुरू होने जा रहा है। पूरे देश में डर का माहौल है। इस माहौल से बाहर निकलने के लिए देशवासियों की राजनीतिक नेतृत्व से ढेरो अपेक्षाएं हैं।
मॉनसून सत्र चुनौतीपूर्ण और ऐतिहासिक होगा
दूसरी तरफ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा है कि यह सत्र चुनौतीपूर्ण ऐतिहासिक होगा। ऐसा इसलिए कि कोरोना संकट की वजह से हम व्यपाक सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए संसद चलाएंगे। ओम बिरला ने कहा कि कोविड-19 की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। लोकसभा हर रोज 4 घंटे बैठेगी। ऐसे में शून्य काल की अवधि भी कम करके आधे घंटे कर दी गई है।
आपको बता दें कि संसद के मानसून सत्र की शुरुआत सोमवार से हो रही है। इस बार कोरोना संकट के चलते संसद के अंदर और बाहर सब कुछ बदला-बदला सा नजर आएगा। मॉनसून सत्र के दौरान कोरोना और सोशल डिस्टेंसिंग की गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। लोकसभा हर रोज 4 घंटे बैठेगी। ऐसे में शून्य काल की अवधि भी कम करके आधे घंटे कर दी गई है। सवालों का जवाब भी लिखित रूप में दिया जाएगा।
Updated on:
14 Sept 2020 02:41 pm
Published on:
14 Sept 2020 10:41 am
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