
नई दिल्ली। कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए सरकार के मध्यस्थ नियुक्त किया है। लेकिन थल सेना अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत ने कहा है कि मध्यस्थ के आने से घाटी में सेना के आपरेशन पर कोइ असर नहीं पड़ेगा।
सरकार की कश्मीर नीति पर बोलते हुए जनरल रावत ने कहा कि सरकार की कश्मीर संबंधी नीति बहुत कारगर रही है और उसका साफ असर घाटी में दिख रहा है। ऐसे में पहले से चल रहे आपरेशन को रोकने का कोई मतलब नहीं है। लेकिन बातचीत आगे बढऩे से अच्छा संकेत जाता है। इसे आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
पाकिस्तान से भारत में लगातार आतंकियों के आने की घटनाओं पर बोलते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि आतंकियों के सीमा पार करने की घटनाओं में काफी कमी आई है। वे उरी जैसी घटनाओं का बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं। आने वाले समय में पाकिस्तानी सीमा पर इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस रखने की योजना बनाई जा रही है। ऐसा होने पर आतंकियों के आने पर पूरी लगाम लगाई जा सकेगी।
सेना ने इस समय कश्मीर घाटी में आतंकियों के खिलाफ आपरेशन आल आउट चला रखा है। इस आपरेशन के तहत अब तक 170 से भी अधिक आतंकियों को एनकाउंटर में मार गिराया गया है। इसमें लश्कर के टॉप कमांडर भी शामिल रहे हैं। इससे कश्मीर में आतंक की रीढ़ टूट गई है।
बता दें कि सरकार ने पूर्व आईबी चीफ दिनेश्वर शर्मा को कश्मीर समस्या के शांतिपूर्ण समाधान के लिए मध्यस्थ नियुक्त किया है। उनसे कश्मीर के सभी पक्षों से बात कर एक ऐसे बिंदु पर पहुंचने की अपेक्षा है जो सभी पक्षों के लिए स्वीकार्य हो।
इसके पूर्व की सरकारों ने भी घाटी के तमाम पक्षों से बातचीत कर एक शांतिपूर्ण संधान पाने की कोशिश की थी, लेकिन यह बहुत कारगर नहीं रहा। कश्मीर के अलगाववादी नेताओं ने समय-समय पर शांतिवार्ताओं का विरोध किया है। पूर्व में कुछ अलगाववादियों ने सरकार से वार्ता के समय पाकिस्तान को भी इसमें एक पक्ष बनाने की मांग की गयी थी, लेकिन किसी भी भारत सरकार ने अलगाववादियों की इस बात पर सहमति नहीं जताई।
Published on:
25 Oct 2017 01:44 pm
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