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पति की जीत में अहम भूमिका
दरअसल, अनीता इस बार विधानसभा चुनाव में चन्नपटना सीट से लड़ने वाली थीं, लेकिन उनके ससुर व जेडीएस अध्यक्ष एचडी देवगौड़ा और पति कुमारस्वामी ने परिवार से ज्यादा लोगों को चुनावी मैदान में उतारना उचित नहीं समझा। इसके बाद अनीता ने अपनी पूरी ताकत चुनावी प्रचार में लगा दी और लगातार प्रचार कार्य में जुटी रहीं। खासकर अनीता का फोकस रामनगर व चन्नपटना सीटों पर रहा। राजनीतिक जानकारों की मानें तो यह अनीता के करिश्माई व्यक्त्तिव और प्रचार का ही परिणाम है कि दोनों ही सीटों से कुमारस्वामी को विजयश्री मिली। इसके लिए अनीता ने दिन-रात एक करते हुए गांव-गांव जाकर लोगों से संपर्क साधा और पति को जिताने की अपील की। यही नहीं इसके अलावा मैसूर की भी 5 सीटों पर अनीता कुमारस्वामी का प्रभाव दिखा।
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किया बगावत का दमन
इसके साथ ही अनीता ने पार्टी में उठ रहे बगावती सुरों को भी शांत करने में अहम भूमिका निभाई। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस चामुंडेश्वरी सीट पर सिद्धारमैया को हराने वाले जीटी देवगौड़ा को अपने पाले में शामिल करना चाहती थी। लेकिन अनीता ने कांग्रेस के मंसूबों को नाकाम करते हुए देवगौड़ा की पत्नी और बेटे को पाला न बदलने के लिए राजी किया।