
नई दिल्ली। लंबी खींचतान के बाद आखिरकार मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल ( CAB ) संसद में पेश कर दी। लोकसभा में गृहमंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल (Citizenship Amendment Bill) को पेश किया। यह विधेयक लोकसभा में पेश करने के लिए सूचीबद्ध है। अमित शाह लोकसभा में इस समय इस बिल को रख रहे हैं। लेकिन विपक्ष इसपर हंगामा कर रहा है।
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नागरिकता संशोधन बिल को देखते हुए पार्टी ने अपने सांसदों को 3 दिनों के लिए व्हिप जारी किया है। अगर यह बिल कानून बन जाता है तो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक उत्पीड़न के कारण वहां से भागकर आए हिंदू, ईसाई, सिख, पारसी, जैन और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोगों को CAB के तहत भारत की नागरिकता दी जाएगी।
विरोधी पार्टियां कर रही हैं बिल का विरोध
मोदी सरकार के इस रुखसे भारत में एक बार फिर से पहचान की बहस छेड़ दी है। राजनीतिक रूप से संवेदनशील इस विधेयक को लेकर विपक्ष की ओर से विरोध के स्वर उठ रहे हैं। दरअसल इस बिल के प्रावधान के मुताबिक पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आने वाले मुसलमानों को भारत की नागरिकता नहीं दी जाएगी। कांग्रेस समेत कई पार्टियां इसी आधार पर बिल का विरोध कर रही हैं।
असम में बिल का बड़े पैमाने पर हो रहा है विरोध
दूसरी तरफ असम में इस बिल का जोरदार विरोध हो रहा है। असम के कई संगठन और पार्टियां इस बिल का ये कह कर विरोध कर रही हैं कि इससे असमिया पहचान पर संकट आएगी और उनकी पहचान प्रभावित होगी। असम में चर्चा है कि ये बिल कानून बनने के बाद 1985 में हुए असम समझौते के प्रावधानों को बेअसर कर देगा। इसके मुताबिक असम में 24 मार्च 1971 से पहले आए लोगों को असम की नागरिकता दी गई थी।
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Updated on:
09 Dec 2019 03:51 pm
Published on:
09 Dec 2019 08:18 am
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