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प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर फेल हुई नीतीश सरकार, अगले चुनाव में उठेगा मुद्दा- उपेंद्र कुशवाहा

- उपेंद्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha ) ने कहा कि बिहार सरकार ( Bihar Govt ) प्रवासी मजदूरों ( Migrants Worker ) को आर्थिक मदद दे सकती थी - उपेंद्र कुशवाहा का मानना है कि अपने राज्य लौटने के बाद भी प्रवासी मजदूर अपने परिवार से नहीं मिल पा रहे हैं

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Upendra Kushwaha

उपेंद्र कुशवाहा का मानना है कि प्रवासी मजदूरों के मुद्दे पर बिहार सरकार फेल रही हैै

नई दिल्ली। कोरोना काल ( coronavirus ) में प्रवासी मजदूरों ( Migrants worker ) और कामगारों को सबसे ज्यादा बुरे वक़्त का सामना करना पड़ रहा है। उनकी बदहाल स्थिति को लेकर जहां केंद्र और राज्य सरकार आपस में टकरा रहे हैं, वहीं अब राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ( Upendra Kushwaha ) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने इसपर बिहार की नीतीश सरकार ( Nitish Kumar ) को कटघरे में खड़ा किया। इसके साथ ही इस मुद्दे को राज्य के अगले विधानसभा चुनाव का सबसे प्रमुख मुद्दा बताया।

एक्सपोज़ हुई बिहार की नीतीश कुमार सरकार

उपेंद्र कुशवाहा का कहना है कि बिहार सरकार लॉकडाउन के दौरान कामगारों और श्रमिकों के पलायन पर जो रवैया अपनाया इससे वो एक्सपोज़ हो चुके हैं। उनका यही रुख आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में मुख्य मुद्दा होगा। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कुशवाहा ने आरोप लगाया कि सीएम नीतीश कुमार राज्य में लौट रहे प्रवासियों को बिना इच्छा से वापस आने की अनुमति दे रहे थे । कुशवाहा ने दावा किया कि जब सारे राज्य सरकारें अपने मजदूरों को वापस बुलाने लगे तो नीतीश कुमार भी प्रेशर में आकर उनको भी मजदूरों को बुलाना पड़ा।

मजदूरों को देने चाहिए थे 10 हजार रुपए

कुशवाहा ने कहा जिस तरह बिहार सरकार ने मजदूरों के लिए काम किया वो संतोषजनक नहीं था। कुशवाहा ने यह भी सुझाया कि राज्य सरकार को इन मजदूरों को सीधे 10,000 रुपये देकर वापस लाने का विकल्प पेश करना चाहिए था। क्योंकि मजदूरों को ट्रेन से आने और क्वारंटाइन में रहने का खर्च लगभग इतना ही है। ऐसे में यह रकम सीधे उनको दी जाती तो, वो इससे अपना खर्च पूरा कर सकते थे।