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कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के सवाल पर मोदी सरकार ने दिया ये जवाब

बीजेपी सांसद ने अनुच्छेद 370 की वर्तमान स्थिति और इसे खत्म करने की प्रक्रिया पर सवाल पूछा था। जवाब में सरकार ने कहा, 'अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।'

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Hansraj Gangaram Ahir

नई दिल्ली। जम्मू एवं कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को समाप्त करने का कोई प्रस्ताव केंद्र सरकार के पास नहीं है। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री हंसराज गंगाराम अहीर लोकसभा में यह जानकारी दी। करनाल से बीजेपी सांसद अश्विनी कुमार चोपड़ा की ओर से पूछे गये प्रश्न का उत्तर देते हुए अहीर ने कहा कि फिलहाल सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। चोपड़ा ने अनुच्छेद 370 की वर्तमान स्थिति और इसे खत्म करने की प्रक्रिया को लेकर भी सवाल पूछा था।

जानिये, क्या हैं अनुच्छेद 370 के प्रावधान
साल 1954 में राष्ट्रपति के एक आदेश के बाद संविधान में अनुच्छेद 370 जोड़ा गया था। अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू एवं कश्मीर के लोगों और वहां की सरकार को कई विशेषाधिकार दिये गये हैं। इस अनुच्छेद से जम्मू-कश्मीर को विशेष स्वायतता मिलती है। ये हैं इस अनुच्छेद के प्रावधान-
1. राज्य विधानसभा के बनाए किसी भी कानून की वैधता को चुनौती नहीं दी जा सकती है।
2. संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामलों और संचार से जुड़े कानून बनाने का अधिकार है, लेकिन अन्य विषयों से संबंधित कानूनों को लागू कराने के लिए राज्य सरकार से मंजूरी लेना अनिवार्य है।
3. दूसरे राज्यों के लोग जम्मू एवं कश्मीर में अचल संपत्ति खरीदने, सरकारी नौकरी पाने और राज्य सरकार की छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ नहीं ले सकते हैं।
4. जम्मू-कश्मीर पर संविधान का अनुच्छेद 356 लागू नहीं होता। देश के राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्खास्त करने का अधिकार नहीं है।
5. यहां के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है। एक नागरिकता जम्मू-कश्मीर की और दूसरी भारत की होती है।
8. भारतीय संविधान में अनुच्छेद-360 के तहत आर्थिक आपातकाल लगाने का प्रावधान है। लेकिन जम्मू-कश्मीर पर इसका कोई प्रभाव नहीं होता।
9. जम्मू-कश्मीर का अपना अलग झंडा और प्रतीक चिन्ह भी है।
10. 1965 तक जम्मू और कश्मीर में राज्यपाल की जगह सदर-ए-रियासत और मुख्यमंत्री की जगह प्रधानमंत्री हुआ करता था।

अनुच्छेद 370 का इतिहास
देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और जम्मू-कश्मीर के महाराजा हरिसिंह ने शेख अब्दुल्ला को राज्य का प्रधानमंत्री बनाया था। उन्होंने 1947 में अनुच्छेद 370 का मसौदा तैयार किया था। उन्होंने संविधान में इसका प्रबंध स्थाई तौर पर करने और राज्य के लिये मजबूत स्वायतता की मांग की थी, लेकिन तत्कालीन केंद्र सरकार ने इस मांग को ठुकरा दिया था।