
श्रमिक स्पेशल
नई दिल्ली।कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में लगे देश में अब एक नए मामले ने तूल पकड़ लिया है। बीते 25 मार्च को देशभर में लागू लॉकडाउन के दौरान तमाम राज्यों में फंसे लाखों प्रवासी मजदूरों को वापस घर भेजने के लिए गृह मंत्रालय के ताजा आदेश के बाद राजनीति शुरू हो गई है। मामला प्रवासी मजदूरों को भेजने के लिए प्रदेशों से किराया वसूलने का है।
जम्मू एवं कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मुद्दे को लेकर केंद्र सरकार पर करारा प्रहार किया है। इस संबंध में किए गए ट्वीट के जरिये अब्दुल्ला ने लिखा, "अगर आप कोरोना संकट के दौरान विदेश में फंसे हुए हैं तो सरकार आपको वापस मुफ्त में लेकर आएगी, लेकिन अगर कोई एक प्रवासी मजदूर हैं जो किसी प्रदेश में फंसे हैं तो आपको सोशल डिस्टेंसिंग की अलग कीमत के साथ सफर का पूरा खर्चा उठाना पड़ेगा। पीएम केयर्स फंड कहां गया?"
गौरतलब है कि केंद्र सरकार की इस घोषणा के बाद समाजवार्दी पार्टी के मुखिया और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी रविवार को तीखी प्रतिक्रिया दी।
उन्होंने ट्वीट में लिखा, "ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मज़दूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की ख़बर बेहद शर्मनाक है। आज साफ़ हो गया है कि पूँजीपतियों का अरबों माफ़ करनेवाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के ख़िलाफ़। विपत्ति के समय शोषण करना सूदखोरों का काम होता है, सरकार का नहीं।"
अखिलेश यादव ने एक अन्य ट्वीट में लिखा, "अब तो भाजपा के आहत समर्थक भी ये सोच रहे हैं कि अगर समाज के सबसे ग़रीब तबके से भी घर भेजने के लिए सरकार को पैसे लेने थे तो PM Cares Fund में जो खरबों रुपया तमाम दबाव व भावनात्मक अपील करके डलवाया गया है उसका क्या होगा? अब तो आरोग्य सेतु एप से भी इस फंड में 100 रु वसूलने की ख़बर है।"
Updated on:
03 May 2020 05:25 pm
Published on:
03 May 2020 05:21 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
