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Patrika Exclusive: राजस्थान का सियासी संकट दूर करने के लिए Congress चल सकती है ‘इक्का’

बहुमत के लिए कोर्ट के निर्देश आएं, इससे पहले गहलोत ( Ashok Gehlot ) खुद साबित कर दें बहुमत। कोर्ट का फैसला स्पीकर ( rajasthan assembly speaker ) के पक्ष में नहीं आने पर कांग्रेस का बी प्लान। संकट टालने के लिए कांग्रेस आलाकमान ( Congress high command ) रिस्क लेने को तैयार। राजस्थान का सियासी संकट ( rajasthan political crisis ) खत्म होने से विधायकों के साथ देशभर में बढ़ेगा कांग्रेस ( Congress ) का मनोबल।  

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Amit Kumar Bajpai

Jul 23, 2020

Plan B of Congress for Rajastha Political Crisis

Plan B of Congress for Rajastha Political Crisis

शादाब अहमद/नई दिल्ली। राजस्थान के सियासी संकट ( rajasthan political crisis ) को लेकर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी की आगामी संभावित सियासी चालों पर रणनीति बनानी शुरू कर दी है। कांग्रेस नेता सरकार बचाने के साथ पार्टी को मजबूत कर उभारने में लगे हुए हैं। कोर्ट का फैसला विधानसभा अध्यक्ष ( rajasthan assembly speaker ) के खिलाफ आने पर कांग्रेस ( Congress ) जोखिम लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) को आगे होकर विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए कह सकती है। इसके लिए विधानसभा का संक्षिप्त सत्र बुलाकर कोई विधेयक या संकल्प पारित करने की रणनीति बना रही है।

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राजस्थान में सचिन पायलट ( Sachin Pilot ) की बगावत से उपजे सियासी बवंडर को अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी में कांग्रेस चल पड़ी है। कांग्रेस अब भारतीय जनता पार्टी को अधिक मौका देने के मूड में नहीं है। यही वजह है कि सरकार बचाने का खेल अब होटल से निकल कर विधानसभा में पहुंचाने की रणनीति में कांग्रेस नेता लगे हुए हैं।

पिछले दिनों गहलोत के राज्यपाल से मिलने से विधानसभा सत्र बुलाने की अटकलें चलने लगी थीं। कांग्रेस आलाकमान ( Congress high command ) और वरिष्ठ नेता चाहते हैं कि मध्य प्रदेश व अन्य राज्यों की तरह सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट से बहुमत साबित करने के निर्देश आएं, इससे पहले गहलोत को सदन में बहुमत साबित कर देना चाहिए।

इसके लिए जल्द से जल्द विधानसभा सत्र बुला लिया जाए। फिलहाल गहलोत खेमे में पर्याप्त संख्या में विधायक है। सदन में बहुमत साबित करने से कांग्रेस विधायकों के साथ पार्टी का देशभर में मनोबल बढ़ेगा। यह संगठन को मजबूत करने वाला कदम होगा। इसके साथ ही पायलट व उनके सहयोगी विधायकों को सबक भी मिल सकेगा।

जोखिम भरा कदम, लेकिन जरूरी

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि गहलोत का विधानसभा में बहुमत साबित करने का कदम खासा जोखिम भरा है, लेकिन यह जरूरी है। किसी विधेयक या संकल्प पारित कराने के लिए सत्र बुलाकर ऐसा किया जा सकता है।

वैसे तो गहलोत के पास पर्याप्त संख्या में विधायक है, लेकिन क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की व्हिप उल्लंघन में सदस्यता चली जाएगी। इससे सरकार की एक बार किरकिरी तो होगी, लेकिन सरकार गिरने का खतरा कुछ दिनों के लिए टाला जा सकता है। इसका यह भी मानना है कि गुजरात मॉडल पर चलते हुए भाजपा चुप बैठने वाली नहीं है। यही वजह है कि राजस्थान को लेकर कांग्रेस खासी चिंतित है।

क्या है गहलोत के लिए जोखिम

सदन में वोटिंग के दौरान यदि भाजपा और पायलट खेमे ने कांग्रेस के कुछ और विधायकों को लुभाने या विश्वास मत के मामले में अनुपस्थित रहने के लिए तैयार कर लिया तो गहलोत गंभीर परेशानी में आ जाएंगे।

गहलोत को उम्मीद

गहलोत को यह उम्मीद भी है कि पायलट खेमे के कांग्रेस के 19 विधायकों में से कुछ ऐसे हैं, जिनकी विधायक के तौर पर आखिरी बाजी है। जबकि कुछ युवा हैं। ऐसे विधायक किसी भी सूरत में अपनी सदस्यता जाती नहीं देखना चाहते हैं। इसके चलते यह सरकार के पक्ष में वोट कर सकते हैं।

अंक गणित
गहलोत के साथः कांग्रेस के 88, 10 निर्दलीय, 2 बीटीपी के अलावा माकपा और आरएलडी का एक-एक विधायक है। इसमें विधानसभा अध्यक्ष व अस्पताल में भर्ती मंत्री भंवरलाल भी शामिल हैं।

पायलट के साथः कांग्रेस के 19 और 3 निर्दलीय विधायक हैं। जबकि भाजपा के पास 72 और रालोपा के 3 विधायक हैं। वहीं, माकपा के एक विधायक का किसी को समर्थन नहीं है।