
Jyotiraditya Scindia resigns from Congress (File Photo)
नई दिल्ली। जहां एक ओर पूरे देश में होली का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, वहीं मध्य प्रदेश की सियासत में भूचाल आ गया है। ज्योतिरादित्य सिंधिया और 14 विधायकों के कांग्रेस से इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई है। लिहाजा इस राजनीतिक भूचाल के बाद मध्य प्रदेश से लेकर दिल्ली तक हड़कंप मचा हुआ है। इस बीच आइए जानते हैं सिंधिया परिवार के सियासी सफर के बारे में..
विजयाराजे सिंधिया
ग्वालियर राजघराने की राजमाता विजयाराजे सिंधिया ने आजादी के बाद 1957 में अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत कांग्रेस पार्टी के साथ की थी। वह पहली बार गुना लोकसभा सीट से सांसद बन कर संसद पहुंचीं थी। हालांकि 10 साल में ही कांग्रेस से उनका मोहभंग हो गया और 1967 में वह जनसंघ में शामिल हो गईं।
विजयाराजे सिंधिया ने मध्य प्रदेश में जनसंघ को मजबूत किया और यही कारण है कि 1971 में हुए चुनाव में जनसंघ ने यहां पर तीन सीटें जीतने में कामयाब हुई थी। इस दौर में इंदिरा गांधी की लहर के बावजूद भी विजयाराजे सिंधिया भिंड से, अटल बिहारी वाजपेयी ग्वालियर से और विजया राजे सिंधिया के बेटे और ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया गुना से सांसद बनने में सफल रहे थे।
माधव राव सिंधिया
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधव राव सिंधिया 26 साल की उम्र में ही जनसंघ से चुनाव लड़कर सांसद बने थे। हालांकि वे ज्यादादिन तक वे जनसंघ में नहीं रुके। 1977 में इमरजेंसी के बाद वे अपनी मां विजयाराजे और जनसंघ से अलग हो गए।
1980 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़े और जीतकर संसद पहुंचे। इसके बाद केंद्र में मंत्री भी बने। माधव राव अपने माता-पिता के इकलौते बेटे थे। चार-भाई बहनों में माधव राव तीसरी नंबर के थे। 2001 में एक विमान हादसे में माधव राव सिंधिया का निधन हो गया।
वसुंधरा राजे सिंधिया और यशोधरा राजे सिंधिया
भाजपा की दिग्गज नेता और राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया 1984 में भाजपा में शामिल हुईं थी। वह दो बार राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। वसुंधरा और उनकी बहन यशोधरा राजे सिंधिया विजया राजे की बेटियां हैं।
यशोधरा 1977 में राजनीति छोड़कर अमरीका चली गईं। उनके तीन बच्चे हैं लेकिन किसी ने भी राजनीति में दिलचस्पी नहीं दिखाई। हालांकि जब 1994 में यशोधरा वापस भारत लौटीं, तो उन्होंने अपनी मां के कहने पर भाजपा में शामिल हुईं। इसके बाद 1998 में चुनाव लड़ी। वह पांच बार भाजपा से विधायक रहीं। इतना ही नहीं शिवराज सरकार में मंत्री भी बनी।
ज्योतिरादित्य सिंधिया
माधव राव सिंधिया के बेटे ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने पिता की विरासत को संभालते हुए गुना से चुनाव जीत कर संसद पुहंचे। जब 2001 में माधव का निधन हुआ तो ज्योतिरादित्य ने 2002 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस की टिकट पर लड़कर पिता की विरासत को आगे बढ़ाया।
ज्योतिरादित्य सिंधन 2002 से कभी चुनाव नहीं हारे थे, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में करारा झटका लगा और वे कृष्ण पाल सिंह यादव से हार गए। एक जमाने में कृष्ण पाल सिंह यादव सिंधिया के करीबी सहयोगी रहे हैं।
दुष्यंत सिंधिया
आपको बता दें कि बसुंधरा राजे के बेटे दुष्यंत राजस्थान में भाजपा का बड़े चेहरे में से एक हैं। मौजूदा समय में वे राजस्थान की झालवाड़ से सांसद हैं।
Updated on:
10 Mar 2020 01:41 pm
Published on:
10 Mar 2020 01:36 pm
बड़ी खबरें
View Allराजनीति
ट्रेंडिंग
