मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, 14 अप्रैल को विश्व हिंदू परिषद की कार्यकारी मीटिंग मेंप्रवीण तोगड़िया और विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष राघव रेड्डी को उनके पदों से हटाया जा सकता है। जानकारी के मुताबिक, आरएसएस के नेतृत्व ने विश्व हिंदू परिषद को निर्देश दे दिया है कि जरूरत पड़ने पर संगठन के संविधान के अनुसार संगठन के चुनाव भी कराए जाएं और अगर ऐसा होता है तो 52 साल बाद ऐसा होगा, जब विश्व हिंदू परिषद में अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराया जाएगा।
कहा यही जा रहा है कि इस समय आरएसएस नहीं चाहता है कि प्रवीण तोगड़िया वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष और राघव रेड्डी वीएचपी के अध्यक्ष बने रहे। इसीलिए 14 अप्रैल को गुरुग्राम में होने वाली कार्यकारी बोर्ड की मीटिंग में दोनों को लेकर कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। वहीं जानकारी के मुताबिक, राघव रेड्डी की जगह वी. कोकजे को वीएचपी का नया अध्यक्ष बनाया जा सकता है।
हालांकि कुछ मीडिया रिपोर्टस में कहा जा रहा है कि कार्यकारी अध्यक्ष और अध्यक्ष पद के लिए चुनाव कराना भी तय हो गया है। ये चुनाव बोर्ड मीटिंग वाले दिन ही होगा। विश्व हिन्दू परिषद 52 सालों में पहली बार अपने अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष के पद के लिए चुनाव करवाएगा। इस पद के लिए दो उम्मीदवार मैदान में हैं और परिषद के सदस्यों में किसी एक के नाम पर सहमति नहीं बन सकी, जिसके बाद चुनाव कराने का फैसला किया गया है।
वीएचपी के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया और वीएचपी के अध्यक्ष राघव रेड्डी का कार्यकाल पिछले साल दिसम्बर में ही ख़त्म हो गया था। वीएचपी के नए अध्यक्ष के चुनाव के लिए बीते 29 दिसंबर को भुवनेश्वर संगठन के कार्यकारी बोर्ड की बैठक हुई थी। संघ के सूत्रों के अनुसार संघ के बड़े अधिकारियों के पास ये जानकारी है कि प्रवीण तोगड़िया ने गुजरात में बीजेपी के खिलाफ कई काम किए थे, इसलिए बीजेपी हाईकमान प्रवीण तोगड़िया से काफी नाराज है।
संघ का तोगड़िया को हटाने के पीछे एक कारण ये भी है कि मोदी सरकार बनने के बाद से जिस तरह से प्रवीण तोगड़िया मोदी और बीजेपी के खिलाफ खुल कर हमले करते हैं, इससे सरकार और बीजेपी दोनों पर विपक्ष को भी हमला करने का मौका मिल जाता है।प्रवीण तोगड़िया ने पिछले दिनों अपने एनकाउंटर का आरोप इशारों-इशारों में पीएम मोदी और उनकी सरकार पर बड़े आरोप लगाए थे। संघ नहीं चाहता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सरकार और बीजेपी के साथ उनके अन्य संगठनों के बीच में किसी भी तरह मतभेद आम जनता के सामने आए।