पूर्व मंत्री त्रिपत राजिंदर बाजवा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि “बैठाओ जो जांच बिठानी है मैं जांच के लिए तैयार हूँ।” उन्होंने कहा, ‘कुलदीप सिंह धालीवाल का ये बयान कि जिले के उपायुक्त की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा पंचायत की जमीन बेची जानी थी, और जमीन का रेट तय होने के 6 महीने के भीतर इसे बेचा जाना चाहिए था। ये नियम केवल पंचायत की जमीन को 33 साल के लिए पट्टे पर देने का है। 28 करोड़ रुपये के घोटाले का आरोप झूठा है क्योंकि जमीन उसी रेट पर बेची गई जो हाई पावर कमेटी ने तय की थी।’
क्या है मामला?
दरअसल ये मामला अमृतसर-जालंधर जीटी रोड पर बनी अल्फा कॉलोनी से जुड़ा है। धालीवाल ने त्रिपत बाजवा पर कॉलोनी को गलत तरीके से पास कर उस जमीन को बेचने में करोड़ों रुपये का गबन करने का आरोप लगाया है। धालीवाल ने आरोप लगाया है कि बाजवा ने 28 करोड़ रुपये का घोटाला किया है।
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वहीं, इस मामले पर बाजवा का तर्क है कि ‘रेट मंत्री नहीं, बल्कि हाई पावर कमेटी तय करती है। जब हाई पावर कमेटी ने रेट फिक्स करके भेजा उसके बाद ही जमीन को लेकर फैसला हुआ, लेकिन वो इस मामले को सनसनी बनाने में जुटे हैं ताकि संगरूर में चुनाव में इसका लाभ उठाया जा सके।’धालीवाल ने 10 मार्च के फाइल पास करने पर उठाए सवाल
एक और आरोप में धालीवाल ने कहा था कि “जब 10 मार्च को कांग्रेस की पावर चली गई थी तो बाजवा ने किस पावर के तहत 11 मार्च को फाइल पास की थी? तब कांग्रेस कैबिनेट इस्तीफा दे चुकी थी और कोड ऑफ कन्डक्ट भी लागू हो चुका था।” इसपर बाजवा ने कहा कि “वो तब केयरटेकर मंत्री थे और इसी नाते फैसला लिया था। रूटीन की फाइल को पास करने का अधिकार मेरे पास था और मैंने वही किया।”
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धालीवाल ने जांच के लिए बनाई कमेटीबता दें कि इस मामले की जांच के लिए धालीवाल ने एक कमेटी का गठन किया है जो एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस रिपोर्ट के बाद ही पंजाब सरकार एक्शन लेगी। वहीं, बाजवा इस जांच को नहीं मानते वो इस मामले की जांच सिटिंग जज द्वारा करवाने की मांग कर रहे हैं।