
जम्मू कश्मीर के मुद्दे पर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर पर उच्चस्तरीय बैठक
नई दिल्ली: जम्मू कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद राज्य में राज्यपाल शासन लागू होना तय है। इधर राज्य की हालात को लेकर गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर पर उच्च स्तरीय बैठक चल रही है। बैठक में गृहमंत्री , गृहसचिव, IB चीफ और NSA प्रमुख मौजूद हैं। बताया जा रहा है कि राज्य में सुरक्षा और शांति बहाली के लिए अहम फैसले लिए जा सकते हैं। यह बैठक जम्मू कश्मीर के लिए काफी अहम मानी जा रही है। बता दें कि जम्मू कश्मीर में रमजान के दौरान सीजफायर होने से आतंकियों घटनाओं में इजाफा हुआ है। ईद के मौके पर ही आतंकियों ने पत्रकार और एक जवान की निर्मम हत्या कर दी थी। राज्य में हालात काफी खराब हो रहे थे। पिछले दिनों राजनाथ सिंह ने भी जम्मू कश्मीर का दौरा कर हालात का जायजा लिया था।
भाजपा ने पीडीप पर लगाया आरोप
दरअसल जम्मू और कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल छह साल का होता है, लेकिन पीडीपी-भाजपा गठबंधन की सरकार सवा तीन साल में ही गिर गई। इसके पीछे मुख्य वजह भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव ने देश की संप्रभुता और प्रेस की आजादी को खतरा और लद्दाख क्षेत्र की उपेक्षा सहित अन्य कारणों के रूप में गिनाया है। लेकिन राजनीति के जानकारों का मानना है कि इसके पीछे मुख्य वजह कुछ और ही है। हकीकत यह है कि वैचारिक स्तर पर बेमेल गठबंधन होने की वजह से मुफ्ती महबूबा की सरकार गिरी है।
कॉमन मिनिमम प्रोग्रोम के तहत हुआ था गठबंधन
दरअसल, पीडीपी को जम्मू और कश्मीर में वैचारिक स्तर पर उग्रवादी समर्थक पार्टियों में गिना जाता है। दूसरी तरफ भाजपा राष्ट्रवादी पार्टी है। इसके बावजूद दोनों के बीच सरकार गठन को लेकर तीन साल पहले कॉमन एजेंडा (न्यूनतम साझा कार्यक्रम) पर सहमति तो बनीं, पर दोनों पर अपने-अपने समर्थकों का दबाव पार्टी के एजेंडे को लागू करने का था। इस दबाव में साझा एजेंडा लागू नहीं हो पाया। पीडीपी मोदी सरकार पर पाकिस्तान से बातचीत हर हाल में शुरू करने, सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून को खत्म कराने, पत्थरबाजों के खिलाफ कार्रवाई न करने, पश्चिमी पाकिस्तान के शरणार्थियों-अराजक तत्वों से नरमी से पेश आने और आतंकियों को आम माफी देने, युद्धविराम को जारी रखने सहित कई मांगों पर अड़ी थी।
जनता और पाकिस्तान से बातचीत जरूरी
जम्मू-कश्मीर में भाजपा ने पीडीपी से अपना समर्थन वापस ले लिया है। समर्थन वापस लेते ही महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। सरकार गिरने के बाद पहली बार महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। महबूबा मुफ्ती ने एक तरफ जहां भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। जम्मू कश्मीर में डराने धमाकाने की नीति नहीं चलेगी। सालों बाद जम्मू कश्मीर के लोग शांति से जी रहे थे। कश्मीर मुद्दे को ताकत से नहीं सुलझा सकते हैं। हम चाहते हैं कि राज्य की बेहतर स्थिति के लिए जनता और पाकिस्तान से बातचीत होनी चाहिए। हम किसी के साथ सरकार नहीं बनाएंगे।
Published on:
19 Jun 2018 05:55 pm
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