
राज्यसभा उपसभापति चुनाव : जीत-हार तय करने में ये दल होंगे निर्णायक
नई दिल्ली : राज्यसभा उपसभापति का चुनाव जैसे-जैसे करीब आता जा रहा है, वैसे-वैसे सत्ता पक्ष और विपक्ष की सक्रियता बढ़ती जा रही है। यही वजह है कि मुख्य विपक्षी कांग्रेस और सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी की नजर क्षेत्रीय दलों को लुभाने पर लगी है। हालांकि ज्यादातर क्षेत्रीय दलों की प्रतिबद्धता स्पष्ट है, लेकिन कुछ क्षेत्रीय दल ऐसे हैं, जो या तो अंतिम समय में चौंकाने वाले निर्णय लेने के लिए जाने जाते हैं या जिनकी प्रतिबद्धता बदलती रहती है।
ये चार दल हैं निशाने पर
कांग्रेस और भाजपा के निशाने पर चार क्षेत्रीय दल बीजू जनता दल, टीआरएस, वाइएसआरसीपी और शिवसेना पर है। अगर ये चारों उपसभापति चुनाव के मुद्दे पर सत्ता पक्ष या विपक्ष जिसके साथ जाएंगे, उसके उम्मीदवार की जीत तय हो जाएगी। यही वजह है कि राजग और विपक्ष दोनों की नजर इन दलों पर लगी हुई हैं और वे उन्हें साधने की कोशिश कर रहे हैं।
विपक्ष के पास अभी हैं 117, तो राजग के पास 106 सदस्य
हाल ही में राजग से अलग हुई तेलगू देशम को मिला दिया जाए तो फिलहाल राज्यसभा में विपक्ष के कुल 117 सदस्य हैं। जबकि शिवसेना समेत राजग के पास कुल 106 सदस्य हैं। इसके अलावा एआइएडीएमके के 14 सदस्य राज्यसभा में हैं। उम्मीद है कि इनका वोट राजग गठबंधन को ही जाएगा। यानी अगर शिवसेना को माइनस कर दिया जाए तब भी राजग प्लस एआइएडीएमके के 106 सदस्य हैं। यानी दोनों गठबंधन की स्थिति एक समान है। किसी के पास अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए जादुई आंकड़ा नहीं है।
इनकी है भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी
जहां बीजेडी, टीआरएस, और वाइएसआरसीपी अभी तक भाजपा और कांग्रेस से समान दूरी बना कर चल रहे हैं तो वहीं शिवसेना के रिश्ते भाजपा से खट्टे-मीठे रहे हैं। इसलिए ये किस तरफ जाएंगे अभी कहना मुश्किल है। इन दलों ने अब तक यह फैसला नहीं किया है कि उपसभापति के चुनाव में इनका रुख क्या होगा। अपने पत्ते छिपा रखे हैं।
इन चारों के 21 सदस्य
बता दें कि बीजेडी के राज्यसभा में 9, टीआरएस के 6, शिवसेना के 4 और वाईएसआरसीपी के 2 सदस्य हैं। और इन चारों पार्टियों के 21 सदस्य राज्यसभा का अगला उपसभापति चुनने में महत्वपूर्ण भूमिका में रहेंगे। सत्ता पक्ष व विपक्ष इन चारों दलों से संपर्क में है। इसकी वजह यह है कि इन चारों पार्टियों ने पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा का समर्थन किया था तो वहीं उपराष्ट्रपति के चुनाव में बीजेडी ने कांग्रेस उम्मीदवार को अपना समर्थन दिया था। इसमें इस बार टीआरएस अब विपक्षी एकता की बातें कर रहा है, इसके मद्देनजर जानकार मानते हैं कि वह विपक्ष्ा के साथ जा सकता है, वहीं इस बार ओडिशा में जिस तरह भाजपा जोर लगा रही है, इसे देखते हुए बीजेडी भी भाजपा उम्मीदवार का समर्थन करेगी, इसकी संभावना कम ही लगती है। शिवसेना किस करवट बैठेगी, यह कहना हमेशा मुश्किल रहता है, क्योंकि आखिरी वक्त में वह चौंकाने वाला फैसला लेने के लिए जानी जाती है।
उपसभापति उम्मीदवार को जिताने के लिए चाहिए 123 मत
बता दें कि 245 सदस्यीय सदन में जीतने वाले उम्मीदवार को 123 मतों की जरूरत होगी। ऐसे में राज्यसभा में जिस तरह का संख्याओं का गणित है, उसमें यह तय है कि इन चार में से दो या तीन दल जिस तरह तरफ गए, उसी का उम्मीदवार उपसभापति बनेगा। यह चुनाव यह भी तय करेगा कि आगामी लोकसभा चुनाव के लिए जिस विपक्षी एकता की बात की जा रही है, वह कितना परवान चढ़ेगी।
Published on:
18 Jun 2018 01:30 pm
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