ब्रिटेन के गृह सचिव साजिद जावीद ने हाल ही लिकर किंग विजय माल्य के प्रत्यर्पण प्रक्रिया पर अपना हस्ताक्षर किया है। विजय माल्या देश के बैंकों से अपनी विमान कंपनी किंगफिशर के लिए दस हजार करोड़ रुपए का कर्ज लेकर लंदन फरार हो गए थे जिनकी वापसी का रास्ता अब साफ हो चुका है। इसी तरह आम्र्स डीलर क्रिश्चन माइकल जिसके ऊपर अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर खरीदारी में करोड़ों रुपए की दलाली का आरोप था उसकी दुबई से वापसी इस प्रक्रिया की पहली कड़ी थी। इन दो उपलब्धियों से मोदी को चुनावों में फायदा होगा क्योंकि मोदी शुरुआत से ही भ्रष्टाचार, कर्ज और खराब बैंकिंग प्रणाली को मुद्दा बनाते रहे हैं। ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के सीनियर फेलो और थिंक टैंक निरंजन साहू कहते हैं कि भगौड़ों की वापसी से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छेडऩे वाले मोदी की छवि और बेहतर होगी। जनता को लगेगा की मोदी व्यवस्था को साफ करना चाहते हैं जिसमें वे कामयाब हो रहे हैं।
माल्या और जूलरी व्यापारी नीरव मोदी की वापसी से मोदी को विपक्ष पर हमलावर होने का मौका मिलेगा और वे सिद्ध करना चाहेंगे की उनकी सरकार इनके साथ नहीं थी जैसा आरोप विपक्ष लगा रहा है। वहीं माल्या ने प्रत्यर्पण के खिलाफ कोर्ट में जाने की बात कही है। इन लोगों की वापसी से मोदी विपक्ष के इस आरोप से तो बच जाएंगे पर नौकरियां, नोटबंदी और जीएसटी के मुद्दे पर विपक्ष उन्हें चुनावी मौसम में आसानी से घेरेगा।
जनता के मन में हैं और भी चुनावी मुद्दे
यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम के एशिया रिसर्च इंस्टीट्यूट के निदेशक कैथरीन एडेने मानते हैं कि देश का पैसा लेकर विदेश भागने वालों की वापसी को मोदी बड़ा चुनावी एजेंडा बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेंगे। इससे वे खुलकर कह सकेंगे कि भ्रष्टाचार के खिलाफ जिस लड़ाई को उन्होंने शुरू किया था उसमें समय के साथ उन्हें सफलता मिल रही है। हालांकि देश की जनता के मन में बेरोजगारी, गरीबी, नौकरी और अर्थव्यवस्था भी बड़ा मुद्दा है जिसके आधार पर 2019 के चुनावों में अपने मताधिकार का प्रयोग करेगी। बजट में किसानों के लिए एक बड़ी धनराशि देने का ऐलान भी उन्हें मदद करेगा जिससे उनकी जीत की राह आसान होगी।
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