सामना के सम्पादकीय में ऐसे कई सवालों का जवाब मांगे गए है जिनका जवाब भाजपा नेतृत्व व पीएम मोदी के पास नहीं है। आगे पार्टी के नेताओं पर तंज कसते हुए लिखा गया है कि इसे गिराएंगे, उसे गिराएंगे, उसे गाड़ेंगे इस तरह की भाषा इन दिनों दिल्ली से लेकर गली तक जारी है। गिराने की भाषा भाजपा वालों के मुंह में इतनी बस गई है कि किसी दिन स्लिप ऑफ टंग होकर खुद के ही अमुक-तमुक लोगों को गिराएंगे। भगवान करे कि इन लोगों के मुंह से ऐसा बयान न निकल जाए। सत्ताधारी दल में जो संयम और विनम्रता का भाव होना चाहिए वो हाल के दिनों में खत्म हो चुका है। एक तरह की राजनीतिक बधिरता का निर्माण हुआ है। यह मान्य है कि विरोधी दल बेलगाम होकर बोलता है, इसलिए सत्ताधारी दल भी इसी तरह बेलगाम होकर न बोले।
देवेंद्र फडणवीस पर भी साधा निशाना
इसी सम्पादकीय में शिवसेना ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनकी पार्टी भाजपा पर भी जमकर निशाना साधा है। सोमवार को छपे लेख में महाराष्ट्र की राजनीति से लेकर केंद्र की राजनीति तक पर फोकस किया गया है। शिवसेना ने सरकार ‘गिराने’ वाली संस्कृति पर भी हमला किया है और पूछा है कि भाजपा की यह भाषा और कब तक चलेगी। संपादकीय की शुरुआत देवेंद्र फडणवीस और उनके उस दावे से की गई है जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र की कुल 48 में 43 सीटें जीतने का दावा कर रहे हैं।