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तेजस्वी यादव ने भाजपा सरकार पर साधा निशाना, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करें पुनर्विचार याचिका

Supreme Court के सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए आरक्षण के आदेश का मामला। केंद्र की BJP Govt पर RJD नेता Tejashwi Yadav का Twitter पर वार। पासवान, अठावले, नीतीश कुमार को भी यादव ने कठघरे में खड़ा किया।

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तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

तेजस्वी यादव (फाइल फोटो)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए आरक्षण को मौलिक अधिकार नहीं बताने को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव ने सोमवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधा। तेजस्वी ने केंद्र की भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार से कहा है कि वो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल करें।

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इस संबंध में राजद नेता तेजस्वी यादव ने ट्वीट किया, "BJP और NDA सरकारें आरक्षण ख़त्म करने पर क्यों तुली हुई हैं? उत्तराखंड की भाजपा सरकार ने आरक्षण ख़त्म करने लिए सुप्रीम कोर्ट में केस लड़ा। आरक्षण प्राप्त करने वाले दलित-पिछड़े और आदिवासी हिंदू नहीं है क्या? BJP इन वंचित हिंदुओं का आरक्षण क्यों छीनना चाहती है?"

तेजस्वी ने इसके बाद एक और ट्वीट में लिखा, "हम केंद्र की एनडीए सरकार (NDA government) को चुनौती देते है कि तुरंत सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के ख़िलाफ़ पुनर्विचार याचिका दायर करे या फिर आरक्षण को मूल अधिकार बनाने के लिए मौजूदा संसद सत्र में संविधान में संशोधन करे। अगर ऐसा नहीं होगा तो सड़क से लेकर संसद तक संग्राम होगा।"

तेजस्वी यहीं नहीं रुके, उन्होंने आगे लिखा, "आरक्षण संवैधानिक प्रावधान है। अगर संविधान के प्रावधानों को लागू करने में ही किंतु-परंतु होगा तो यह देश कैसे चलेगा? साथ ही आरक्षण समाप्त करने में भाजपा का पुरज़ोर समर्थन कर रहे आदरणीय राम विलास पासवान जी, नीतीश कुमार जी, अठावले जी और अनुप्रिया पटेल जी भी इसपर स्पष्ट मंतव्य जारी करें।"

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गौरतलब है कि एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यों को यह निर्देश नहीं दिया जा सकता है कि वो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को प्रमोशन दें।

बीते शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा, "इसमें कोई शक नहीं है कि प्रदेश सरकार आरक्षण देने को प्रतिबद्ध नहीं है, लेकिन किसी शख्स का इसे लेकर दावा करना मौलिक अधिकारों का हिस्सा नहीं है और न ही इसे लेकर अदालत प्रदेश सरकार को कोई आदेश जारी कर सकता है।"

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सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उत्तराखंड सरकार की उस अपील पर आया था जिसमें उसने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सांख्यिकी आंकड़े जुटाए जाएं। इससे यह पता चल सकेगा कि सरकारी नौकरियों में SC-ST वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं और फिर पदोन्नति में आरक्षण दिया जा सके।