दरअसल 2019 में दोबारा सत्ता में आने के बाद से ही मंत्रिमंडल विस्तार नहीं किया गया है। शिवसेना और शिरोमणि अकाली दल के एनडीए से अलग होने और रामविलास पासवान के निधन के बाद रिक्त पड़े पदों के चलते भी लगातार मंत्रिमंडल विस्तार की मांग उठ रही है। हालांकि इन मांगों के बीच मोदी सरकार इस बैठक के साथ एक तीर से दो निशाने लगाने की कोशिश कर रही है।
यह भी पढ़ेँः 1980 में विमान हादसे में संजय गांधी की हुई थी मौत, भारतीय राजनीति में थी दबंग नेता के रूप में पहचान पिछले कुछ दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर सरकार और नेताओं के बीच लंबी बैठकें हुई हैं। इसमें मौजूदा मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा भी की गई है। मोदी सरकार इस बैठक के साथ दो अहम बातों पर फोकस कर रही है।
1. यूपी समेत 6 राज्यों में 2022 में होने वाला विधानसभा चुनाव
केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग के जरिए मोदी सरकार का पहला निशाना आगामी विधानसभा चुनाव पर है। इसमें सबसे अहम राज्य है उत्तर प्रदेश। वहीं अन्य पांच राज्यों को साधने के लिए भी ये मीटिंग काफी अहम होगी। माना जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार में आगामी राज्यों में होने वाले चुनाव की झलक साफ तौर पर देखने को मिल सकती है।
केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग के जरिए मोदी सरकार का पहला निशाना आगामी विधानसभा चुनाव पर है। इसमें सबसे अहम राज्य है उत्तर प्रदेश। वहीं अन्य पांच राज्यों को साधने के लिए भी ये मीटिंग काफी अहम होगी। माना जा रहा है कि कैबिनेट विस्तार में आगामी राज्यों में होने वाले चुनाव की झलक साफ तौर पर देखने को मिल सकती है।
एक्शन प्लानः मोदी सरकार इस मामले के लिए खास एक्शन प्लान बना सकती है। इसके तहत उन राज्यों से कुछ चेहरों को मंत्रिमंडल में जगह दी जा सकती है। राजनीति सूत्रों की मानें तो उत्तर प्रदेश से करीब 3 चेहरों को कैबिनेट में जगह दी जा सकती है। इसके अलावा उत्तराखंड से 1, गुजरात से 1, गोवा से 1, हिमाचल प्रदेश से 1 और पंजाब से 1 नए चेहरे को केंद्रीय मंत्रिमंडल में मौका मिल सकता है।
2. एनडीए को फिर मजबूत बनाना
मोदी सरकार का इस बैठक में दूसरा जो अहम फोकस होगा वो होगा एनडीए को एक बार फिर मजबूत बनाना है। इसके लिए कुनबे को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। दरअसल किसानों के मुद्दे को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से किनारा किया, वहीं आपसी मतभेद और महाराष्ट्र की राजनीति घमासान के बीच शिवसेना भी एनडीए को बाय-बाय कर चुकी है। वहीं बिहार चुनाव में एलजेपी ने भी तीखे तेवर दिखाए। लिहाजा केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग के जरिए इस बात पर जोर दिया जाएगा कि एनडीए अपना कुनबा बढ़ाए।
मोदी सरकार का इस बैठक में दूसरा जो अहम फोकस होगा वो होगा एनडीए को एक बार फिर मजबूत बनाना है। इसके लिए कुनबे को बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। दरअसल किसानों के मुद्दे को लेकर शिरोमणि अकाली दल ने एनडीए से किनारा किया, वहीं आपसी मतभेद और महाराष्ट्र की राजनीति घमासान के बीच शिवसेना भी एनडीए को बाय-बाय कर चुकी है। वहीं बिहार चुनाव में एलजेपी ने भी तीखे तेवर दिखाए। लिहाजा केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग के जरिए इस बात पर जोर दिया जाएगा कि एनडीए अपना कुनबा बढ़ाए।
एक्शन प्लान- एनडीए का कुनबा बढ़ाने के लिए मोदी सरकार खास एक्शन प्लान के जरिए इसे अंजाम देने की तैयारी में है। माना जा रहा है कि मोदी सरकार क्षेत्रीय दलों को तरजीह देकर एनडीए की ताकत में एक बार फिर इजाफा करना चाहती है। इसके लिए यूपी के दो क्षेत्रीय दल अपना दल और निषाद पार्टी के एक-एक नेता को भी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है।
इस लाइन पर चले तो अनुप्रिया पटेल और प्रवीण निषाद को मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। इससे ओबीसी वोटरों के साथ एनडीए को बढ़ाने में बड़ी मदद मिल सकती है। वहीं कुछ नेताओं को प्रमोशन देना भी खास रणनीति का हिस्सा हो सकता है। इनमें पंजाब से राज्यमंत्री सोमनाथ का प्रमोशन, हिमाचल प्रदेश से अनुराग ठाकुर को स्वतंत्र प्रभार देकर मोदी सरकार अपने इरादे साफ कर सकती है।
संजय निषाद का बड़ा बयान
केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग से पहले यूपी में एनडीए सहयोगी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद का बड़ा बयान सामने आया है। संजय ने कहा कि बीजेपी ने हमसे केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह और राज्यसभा सीट का वादा किया था। इसके साथ ही 2022 में मुझे डिप्टी सीएम के चेहरे के रूप में प्रस्तुत करने की बता कही थी। अगर बीजेपी अपने वादे से मुकर कर हमें दुखी करेगी तो वो भी सुखी नहीं रह सकेगी।
केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग से पहले यूपी में एनडीए सहयोगी निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद का बड़ा बयान सामने आया है। संजय ने कहा कि बीजेपी ने हमसे केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह और राज्यसभा सीट का वादा किया था। इसके साथ ही 2022 में मुझे डिप्टी सीएम के चेहरे के रूप में प्रस्तुत करने की बता कही थी। अगर बीजेपी अपने वादे से मुकर कर हमें दुखी करेगी तो वो भी सुखी नहीं रह सकेगी।
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दिल्ली में नीतीश का डेरा
जेडीयू नेता नीतीश कुमार भी दो दिन के दिल्ली दौरे पर हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा ले सकते हैं। दरअसल एनडीए का प्रमुख सहयोगी दल होने के बावजूद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जेडीयू की भागीदारी नहीं हैं। ऐसे में संभावित कैबिनेट विस्तार में जेडीयू के भी तरजीह दी जा सकती है।
दिल्ली में नीतीश का डेरा
जेडीयू नेता नीतीश कुमार भी दो दिन के दिल्ली दौरे पर हैं। माना जा रहा है कि केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग में हिस्सा ले सकते हैं। दरअसल एनडीए का प्रमुख सहयोगी दल होने के बावजूद केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में जेडीयू की भागीदारी नहीं हैं। ऐसे में संभावित कैबिनेट विस्तार में जेडीयू के भी तरजीह दी जा सकती है।
सीधा संदेश
केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग के जरिए मोदी सरकार विरोधियों को सीधा संदेश देने का काम कर सकती है। एनसीपी नेता शरद पवार की ओर से बुलाई विरोधी दलों की बैठक समेत पश्चिम बंगाल की हार के बाद उठ रहे सवालों का जवाब भी इस बैठक के जरिए दिया जा सकता है।
केंद्रीय कैबिनेट मीटिंग के जरिए मोदी सरकार विरोधियों को सीधा संदेश देने का काम कर सकती है। एनसीपी नेता शरद पवार की ओर से बुलाई विरोधी दलों की बैठक समेत पश्चिम बंगाल की हार के बाद उठ रहे सवालों का जवाब भी इस बैठक के जरिए दिया जा सकता है।