
40 दिनों से बिना भक्तों के रह रहे भगवान
प्रतापगढ़. प्रभु की भी लीला न्यारी है... शहर सहित जिलेभर में लॉकडाउन में 40 दिनों से भगवान भी बिना भक्तों के रह रहे हैं। जिले के सभी प्रमुख मंदिरों के पट बंद हैं। जिन मंदिरों में दर्शन के लिए रोज लंबी लाइनें लगती थीं, वे ही भगवान अब एकांतवास काट रहे हैं। पहली बार ऐसा हो रहा है कि भगवान को भक्तों का इंतजार हैं। पुजारी ही पूजा-आरती कर रहे हैं। इन 40 दिनों में मंदिरों में न कोई उत्सव-पर्व मनाया गया, न मेले भरे। कई प्रसिद्ध मंदिरों में सालभर में लाखों श्रद्धालु आते हैं, मेले भरते हंै, धार्मिक आयोजन होते रहते हैं, वहां सन्नाटा पसरा है। बस भगवान हैं और उनके पुजारी।
गौतमेश्वर महादेव मंदिर
अरनोद तहसील के तीन किलोमीटर दूर स्थित गौतमेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यहां का प्राकृतिक भौगोलिक वातावरण बहुत ही शांत और सुंदर हैं। गौतमेश्वर महादेव मंदिर संभवत: विश्व का एकमात्र ऐसा शिवालय हैं जहां गौतमेश्वर महादेव दो भागों में विभाजित है। पूरी तरह से खंडित शिवलिंग होन के बाद भी पूजनीय है। यहां मोक्षदायिनी कुंड में स्नान करने के बाद उस व्यक्ति को मंदिर का पुजारी पाप मुक्ति प्रमाण पत्र भी देता हैं। इसे इस क्षेत्र में आदिवासियों को हरिद्वार भी कहा जाता हैं। यहां दीपावली के बाद, हरियाली अमावस्या सहित कई त्योहारों पर मेले भी लगते हैं। जिसके चलते राजस्थान के साथ, मध्यप्रदेश, गुजरात सहित कई अन्य राज्यों से श्रद्धालु आते हैं।
शोली हनुमान मंदिर
जिले के मोवाई ग्राम पंचायत स्थित शिवना-रोजड़ नदी के संगम तट पर शौली हनुमान मंदिर बना हुआ हैं। शौली हनुमानजी के मन्दिर की ऊंचाई 105 फीट है। इसकी कुल लम्बाई 180 फीट और चौड़ाई 52 फीट है। शौली हनुमानजी में वर्ष भर कई आयोजन होते हैं। इसमें प्रति मंगलवार व शनिवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। इसके अलावा हनुमान जयंती महोत्सव पर तीन दिवसीय मेले का आयोजन होता है। गुरु पूर्णिमा, भादवी छठ, नवरात्र (शारदीय और चैत्र दोनों), जगन्नाथजी महाराज की पुण्यतिथि, अन्नकूट महोत्सव, शरद पूर्णिमा, माही छठ, प्रत्येक माह की अमावस्या पर जागरण का आयोजन होता है, लेकिन कोरोना वायरस के चलते लगे लॉक डाउन के बाद से यहा करीब 40 दिनों से मंदिर बंद हैं।
भंवरमाता छोटीसादड़ी
कांठल क्षेत्र का प्रमुख शक्तिपीठ जिले के छोटीसादड़ी में भंवरमाता मंदिर निम्बाहेड़ा-प्रतापगढ़ मार्ग पर स्थित है। लोकमान्यता के अनुसार यशगुप्त के पुत्र राजा गौरी ने इस मन्दिर का निर्माण करवाया। मन्दिर के पास केवड़े की नाल है तथा शिव मन्दिर भी बना है । नैसर्गिक सौन्दर्य-युक्त यह स्थान बहुत ही सुरम्य और मनभावन है। नवरात्र में श्रद्धालु काफी संख्या में यहां आते हैं। हरियाली अमावस्या को देवी मन्दिर प्रांगण में विशाल मेला लगता है। बारिश के समय आने वाले श्रद्धालु मंदिर में भंवरमाता के दर्शन कर सामने 70 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले जलप्रपात में नहाने का भी आनंद लेते हैं। नीमच, मंदसौर, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़़, उदयपुर, भीलवाड़ा, मंदसौर, निंबाहेड़ा सहित कई जगहों से दर्शनार्थी यहां पहुंचते हैं। लेकिन अब लॉक डाउन में यह मंदिर भी 40 दिनों से बंद हैं।
रोकडिय़ा हनुमान मंदिर
शहर से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित रोकडिय़ा हनुमान मंदिर झांसडी गांव के बाहर स्थित है। दाढ़ी वाले रोकडिय़ा हनुमानजी की कई विशेषताओं के कारण दूर-दूर तक इनकी महिमा फैली है। लोग रोकडिय़ा हनुमानजी अपने भक्तों की आर्थिक समस्या हल दूर करने और मनोकामना पूरी होने के लिए आते हैं। मंगलवार और शनिवार के दिन तो यहां श्रद्धालुओं का मेला-सा लगा रहता हैं। यहां कई त्योहारों पर मेले के आयोजन होते हैं। मुख्य रूप से हनुमान जयंती पर मेले का आयोजन 4 से 5 दिनों तक होता है, लेकिन इस वर्ष कोरोना के चलते यह मेला स्थगित किया गया हैं।
Published on:
03 May 2020 12:31 pm
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