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प्रतापगढ़

एक माह में कई जगह ‘दावानल’ समय पर सूचना से पाया काबू

पहले अप्रेल में शुरू होती थी आग लगने की घटनाएंसेटेलाइट से समय पर मिल रही जंगल में आग की सूचना

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समय रहते सूचना से पाया जा रहा काबू
प्रतापगढ़. गत वर्षों से पर्यावरण संतुलन बिगड़ता जा रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि सर्दी, गर्मी और बारिश का समय भी निर्धारित नहीं रहा है। इस वर्ष भी जिले में गर्मी का मौसम जल्दी शुरू हो गया है। इससे जंगल में आग लगने की घटनाएं भी जल्दी शुरू हो गई। हालांकि वन विभाग को सेटेलाइट से आग की अलर्ट समय पर मिल रहा है। जिससे आग फैलने से पहले ही आग पर काबू पाया जा रहा है। जिलें में वन विभाग को इस बार गत एक माह में करीब सौ अलर्ट मिले है। इससे समय रहते आग पर काबू पाया गया है। जिले में गत दिनों से एकाएक गर्मी बढऩे के साथ ही जंगल में इन दिनों आग लगने की घटनाएं बढ़ती जा रही है। आग से जंगल में भी बहुमूल्य पेड़ और औषधि वनस्पति आग में खाक हो रही है। वन विभाग की गत दिनों से सतर्कता बढ़ा दी गई है। कहीं से भी आग की घटना होती है तो सेटेलाइट से इसकी सूचना फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से संबंधित उपवन संरक्षक को मिल जाती है। ऐसे में सूचना पर कर्मचारी और वन सुरक्षा समितियों की ओर से आग पर काबू पाया जा रहा है। जिले में गत दिनों से हालात यह है कि रोजाना ही जंगल में आग लग रही है। कभी दिन तो कभी रात में आग लगने लगी है। ऐसे में वन विभाग की मुस्तैदी से आग पर काबू पाया जा रहा है। कई कारणों से जंगल में लग रही आग
इन दिनों गर्मी की अधिकता से जंगल में आग की घटनाएं बढ़ रही है। हालांकि आग लगने के कारणों को कोई ठोस नतीजे पर अभी र्कोई नहीं पहुंचा है। लेकिन कुछ मुख्य कारण है, जो अभी तक सामने आए है। इनमें कभी नासमझी में जंगल से गुजरते कोई लोग जलती बीड़ी इत्यादि डाल देता है। जिससे गर्र्मी के कारण वहां आग लग जाती है। वहीं वन अधिकार अधिनियम के तहत भी अतिक्रमण के कारण आग लगाई जाती है। तेंदू पत्ते की अच्छी फुटान के लिए भी आग लगाने के कारण सामने आए है।
जंगल में नमी से नुकसान कम
इन दिनों जंगल में लग रही आग अधिक नहीं फैल रही है। इसका कारण यह है कि गत पखवाड़े से ही पेड़ों के पत्ते झड़े है। वहीं गत दिनों बारिश भी हुई थी। जिससे पत्तों में नमी है। इससे आग का फैला सीमित क्षेत्र में ही होता है।
एक माह पहले शुरू हुई आग की घटनाएं, किया जा रहा काबू
इस वर्ष एक माह पहले से ही जंगल में आग की घटनाएं शुरू हो गई है। जबकि गत वर्ष जंगल में आग की घटनाएं मार्च के अंतिम सप्ताह से शुरू हुई थी। हालांकि सेटेलाइट के माध्यम से फोरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया से आग लगने की सूचना मिल रही है। जिससे कुछ ही समय बाद विभाग को मैसेज आ जाता है। जिसमें लोकेशन भी आती है। इस पर मैसेज को संबंधित रेंजर और फोरेस्टर को भेज दिया जाता है। कोई भी जंगल में आग लगाने की कोशिश करता हुआ पाया जाता हैै। तो तुरंत संबंधित फोरेस्टर को सूचना करें।
सुनील कुमार, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़.