
लॉकडाउन: वातावरण हो रहा रिचार्ज: प्रकृति, पशु-पक्षी व जीव-जंतु दिख रहे प्रसन्न
प्रतापगढ़. वैश्विक महामारी कोविड-19 की वजह से दुनियाभर में लाखों लोगों की मौतें हो चुकी हैं। दुनिया की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है। ऐसी विपरीत परिस्थितियों में प्रकृति खिलखिला उठी है।
ऐसा अनुभव हो रहा है जैसे प्रकृति रिचार्ज हो रही है। औद्योगिक इकाइयां और वाहन बंद पड़े हैं। वातावरण में कोई प्रदूषण नहीं है। यही वजह है, कि वन और वन्य जीव शहरों की ओर रुख कर रहा है। कोरोना एक इशारा है, प्रकृति से खिलवाड़ बहुत हो चुका, अब हमें चेत जाना चाहिए।
दिखने लगा वातावरण में बदलाव:
जिले में भी वाहनों व अन्य कारणों से प्रदूषण बढऩे लगा था। लॉकडाउन के बाद से ही वाहनों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा हैं। जिसके बाद से ही वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, ध्वनि प्रदूषण आदि सब में कमी आई है। प्रदूषण में भारी कमी होने से कई प्रकार के मरीज राहत महसूस कर रहे हैं। श्वांस, फेफड़ों, वायरल, संक्रमण, मधुमेह, हृदय रोग, सिरदर्द आदि बीमारियां कम होने लगी है।
लॉकडाउन समाप्त होने के बाद की चुनौतियां
लॉकडाउन के नुकसान के साथ फायदे भी देखने को मिले है। पता चल रहा है कि वातावरण के सुधारने की कितनी संभावनाएं थी। आज एक नया मानक खड़ा हो गया है। विष रहित वायु, बिना दुर्गंध का साफ सुथरा नदियों का नीला दिखता जल, नीलवर्ण आकाश इन सभी को लॉकडाउन के बाद सुसज्जित रखना अब सरकारों, वैज्ञानिकों, उद्योगपतियों और नीतिकारों के लिए चुनौती बनेगा।
अध्यात्म का वातावरण
लॉकडाउन के चलते लोगों ने अपनी जीवन शैली में बहुत बदलाव किया है। शरीर की प्रतिरोधक क्षमता और व्यक्तिगत स्वच्छता पर अधिक जागृति से लोगों के मन,शरीर और विचारों में परिवर्तन आया है। हर उम्र के लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान, धर्म ग्रंथ, अच्छे धारावाहिकों को देखने का समय मिल रहा है और वे सभी अच्छा महसूस कर रहे हैं। ऐसे भी लोग हैं जो समय के अभाव में अपने मन में छिपी कलाओं, रचनात्मक क्रिया कलापों को संजोए बैठे थे, लेकिन क्रियान्वित नहीं कर पा रहे थे। लॉकडाउन का पूरा लाभ उठाकर वे संगीत, कला, संस्कृति, नाट्य, पेंटिंग, आदि में अपना समय लगा रहे हैं।
झूमते नाचते दिख रहे मोर
धोलापानी. आज से करीब पांच दशक पहले रंग- बिरंगी तितलियां, मौर और अन्य पक्षी खूब दिखते थे। जो अब फिर से ज्यादा दिखाई देने लगे हैं। यह संकेत है कि पर्यावरण बिल्कुल और पारदर्शी हो गया है। तितलियां और उन्मुक्त घूमते नाचते मौर इस बात की तस्दीक कर रही है, कि हमारा पर्यावरण इस वक्त प्रदूषण मुक्त है। जंगल में जो लोग जो जानवर छिपे होते थे, वह आज शहरों व गांवों में घूम रहे हैं। जिले में भी इन दिनो ऐसे ही नजारें दिखना आम हो गया है। जगलों से निकल कर ग्रामीण व शहरी इलाकों मेें आकर पशु पक्षी घूमते दिखाई दे रहे हैं। जिले के धोलापानी में भी लॉकडाउन के बीच एक मोर बिना किसी डर के अपने पंख फैलाकर नाचते हुए दिखाई दिया।
Published on:
04 May 2020 10:39 am
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