गर्मी शुरू होनें के साथ ही लौटने लगे है अपने मूल स्थान पर
आसमान में समूहों में उड़ाने भरते देखे जा सकते है प्रवासी पक्षी
प्रतापगढ़.
जिले में कई वर्षों से सर्दी में प्रवास पर आने वाले प्रवासी पक्षी गर्मी शुरू होने के साथ ही अब अपने मूल स्थान को लौटने लगे है। गर्मी की दस्तक के साथ ही जलस्रोत खाली होने लगे है। ऐसे में प्रवासी पक्षी यहां से जाने लगे है। जिससे आसमान में इन पक्षियों के समूहों को देखा जा सकता है। जो यहां से उड़ान भरने के साथ ही सैंकड़ों किलोमीटर की यात्रा करने के बाद अपने मूल स्थान पर पहुंचेंगे।
गौरतलब है कि उत्तरी भारत के तराई वाले व इसके पार के देशों में सर्दी शुरू होते ही बर्फ जमने लग जाती है। इससे वहां के स्थानीय पक्षियों के लिए भोजन आदि की समस्या हो जाती है। जिससे ये पक्षी भारत के मैदानी इलाकों में आ जाते हैं। इनमें भोजन की तलाश में आते हैं। जहां पूरी सर्दी प्रवास पर रहते है। मार्च के अंतिम सप्ताह के साथ ही पहाड़ों पर पिछले चार माह से जमी बर्फ अब पिघलना शुरू हो गई है। इससे वहां जलीय व थलीय वनस्पति आदि भी बाहर निकलने लगी हैं। जिससे सर्दी में अब यहां से वे अपने क्षेत्र में वापस जाने लगे हैं।
जिले में इन जलाशयों पर देखे थे प्रवासी पक्षी
प्रतापगढ़ जिले के कई जलाशयों पर सर्दी के मौसम में प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाले हुए था। इनमें गौतमेश्वर, रायपुर, गादोला, निनोर, देवगढ़ का सूर्य तालाब और धरियावद में केशरियावद के तालाब प्रमुख है। इसके साथ ही छोटी बम्बोरी, लालपुरा, फूटा तालाब, अचलावदा, बड़वन, पाड़लिया बांध, मानपुरा एनीकट, जाजली, छोटीसादड़ी, मौखमपुरा तालाब, चाचाखेड़ी बांध समेत विभिन्न स्थानों पर जलाशयों में प्रवासी पक्षी आते है।
यह पक्षी आते है जिले में प्रवास पर
पर्यावरणप्रेमी मंगल मेहता ने बताया कि जिले में कई प्रवासी पक्षियों की प्रजातियां पहुंचती है। इनमें कुछ पक्षी की प्रजातियां है। जो प्रति वर्ष आती है। इसमें कॉमन कूट, परपल स्वामफैन, कॉमल मूरहेन, कॉमन पोचार्ड, नॉर्थन शॉवलर, यूरेशियन वेगन, नॉर्थर पिंटेल, ग्रे लेग गूज, रडी शेल्डक, पेंटेड स्टॉर्क, इंडियन पांड हेरोन, लिटिल इग्रेट, कॉम्बडक समेत कई प्रजातियों के पक्षी आते है।
गर्मी शुरू होते ही जाने लगे प्रवासी पक्षी
गत दिनों से गर्मी शुरू हो गई है। इसके साथ ही प्रवासी पर कांठल पहुंचने वाले प्रवासी पक्षियों के समूह जाने लगे है। यहां करीब चार माह तक इन पक्षियों ने जलाशयों पर डेरा डाला था। अब ये पक्षी यहां से उड़ाने भरने लगे है। जो अपने मूल स्थान पर जा रहे है।
सुनीलकुमार, उपवन संरक्षक, प्रतापगढ़