
Pratapgarh Weather Today: जिले में इस वर्ष मानसून के अंतिम दौर में अच्छी बारिश हुई जिससे जहां सभी बांध लबालब हो गए। वहीं जिले का सबसे बड़ा बांध जाखम बांध भी लबालब हो गया है। इससे आमजन के साथ किसानों में खुशी की लहर है। क्षेत्र के काश्तकारों की उम्मीद संभाग का सबसे ऊंचे एवं जिले का जाखम बांध इस वर्ष लबालब हो गया है। यह बांध 31 मीटर की भराव क्षमता के मुकाबले सोमवार शाम तक 30.85 मीटर तक पहुंच गया।
जाखम बांध के हरिराम दुबे ने बताया कि जिला मुख्यालय से 28 किलोमीटर दूर सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य के प्राकृतिक नैसर्गिक सौंदर्य के बीच जाखम बांध के लबालब होने एवं छलकने को लेकर किसानों में खुशी छाई हुई है।
जाखम बांध की दो नहरें निकाली गई है जो पूरे धरियावद उपखंड में खेतों में सिंचाई करती है। इसमें 35 किमी दाई एवं 39 किमी बाई मुख्य नहरें निकाली हुई है जो धरियावद क्षेत्र की करीबन 28 हजार हैक्टेयर क्षेत्र से अधिक में रबी सीजन में सिंचाई होती हैं।
जाखम बांध का निर्माण वर्ष 1986 में हुआ। बनने के बाद सबसे पहले 1987 में जाखम बांध से पानी नहरों से फसल सिंचाई के लिए छोड़ा गया था। जाखम जल संसाधन सिंचाई परियोजना की दो मुख्य नहरों के जरिए बांध का पानी धरियावद तहसील में प्रवेश कर छोटी नहरों एवं धोरों के जरिए क्षेत्र खेतों तक पहुंचता है।
जाखम बांध के पानी से रबी फसल की भरपूर पैदावर होने के चलते किसानों, काश्तकारों को अच्छी उपज होती है जिसके चलते इसे संजीवनी कहा जाता है।
जाखम बांध निर्माण के बाद से लेकर अब तक बंद है लेकिन किसी प्रकार का कोई गेट नहीं है। ऐसे में जब-जब भी बांध का पानी ओवर लो होता है। तब गेट के अभाव में बांध का पानी रपट के जरिए क्षेत्र से होकर गुजरात के कडाना बांध होते हुए समुद्र में जाकर मिलता है।
जाखम बांध कई बार छलका है। जो वर्ष 1986 से लेकर 2022 तक 31 मीटर भराव क्षमता वाला जाखम बांध अब तक 21 बार छलका हैं। जिन-जिन वर्षों में बांध छलका उनमें 1986, 1988, 1989, 1990, 1991, 1993, 1994, 1996, 2001, 2004, 06, 11, 12, 13, 15, 16, 2017, 2018, 2019, 2020, 2022 को बांध ओवर लो होकर छलका था। इसके बाद इस वर्ष 2024 में फिर से छलका है।
यहां जाखम बांध पर 31 मीटर भराव क्षमता आरएल 359.50 मीटर है। जाखम बांध के अब तक के इतिहास को देखा जाए तो वर्ष 2006 में बांध संग्रहण क्षेत्र में अत्याधिक बरसात के चलते उस समय जाखम बांध पर रिकॉर्ड 3 मीटर 50 सेमी की चादर चली। जो अब तक एक रिकॉर्ड दर्ज हैं। इतना ही नहीं महज तीन बार 2006, 2011 एवं 2013 जाखम बांध पर 2 मीटर या उससे अधिक की चादर चली थी।
यह बांध अमूमन प्रत्येक वर्ष अच्छी बारिश होने पर अगस्त माह तक बांध ओवर लो होकर छलक जाता है। लेकिन गत वर्ष जल संग्रहण क्षेत्र में बरसात कम होने के चलते 31 मीटर भराव क्षमता वाले बांध में 28 मीटर से कुछ अधिक पानी की आवक थी। ऐसे में वर्ष 2023 में भी बांध करीबन ढाई मीटर से अधिक खाली रहा था।
Updated on:
23 Oct 2024 02:51 pm
Published on:
17 Sept 2024 04:22 pm
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