
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग लड़कियों से दुराचार के आरोपी जीजा व मौसा को जमानत पर रिहा करने से किया इंकार, अर्जी खारिज
प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दस व ग्यारह वर्ष की अनाथ नाबालिग बच्चियों से छेड़छाड़ व दुराचार के के आरोपित जीजा व मौसा को जमानत पर रिहा करने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि इनका अपराध जघन्य है। यह स्त्री की निजता व सुचिता का हनन करने वाला अपराध है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने नरेश उर्फ भूरा व तेजपाल की जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया है।मालूम हो कि पीड़िता नाबालिग लड़कियों के माता पिता का निधन हो गया। दोनों अपने जीजा के घर रहने लगी। उन्होंने ने अपनी मौसी को बताया कि मौसा व जीजा उनके साथ गलत व्यवहार करते हैं। उन्हें तकलीफ होती है।मौसी ने कुछ नहीं किया। दोनों कस्तूरबा गांधी इंटर कालेज बुलंदशहर की छात्रा है।
उन्होंने अपनी अध्यापिका को बताया।जिसने बाल कल्याण समिति को सूचना दी। 4दिसंबर 21को समिति ने पीड़िताओं को सखी संस्था में रखा।अब वे कालेज हास्टल में रह रही हैं। दुराचार व पाक्सो एक्ट के तहत बुलंदशहर के काकोर थाने में एफ आई आर दर्ज कराई गई है।जमानत अर्जी पर कोर्ट ने सी जे एम को पीड़िताओं को पेश करने का निर्देश दिया। पुलिस टीम पीड़िताओं को लेकर आयी। उन्होंने एफ आई आर की घटना को अपने बयान में दोहराया। याचियों का कहना था कि जमीन की लालच में विवाद खड़ा कर सोनू ने उन्हें फंसाया है।
किन्तु कोर्ट ने कहा कि दस व ग्यारह साल की बच्चियों द्वारा झूठा फंसाने का सवाल ही नहीं है। डाक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में दुराचार की संभावना से इंकार नहीं किया है।जांच में हाइमन फटा पाया गया जो जुड़ गया है।इसपर अपराध की सजा व गंभीरता को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
Published on:
18 Mar 2022 12:27 pm
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