5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चचेरी बहन से रेप के दोषी को हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इनकार, कहा- सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त करते हैं ऐसे अपराध

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस तरह के अपराध सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त कर देते हैं। मामले के तथ्य और परिस्थितियां, विशेष रूप से यह तथ्य कि पीड़िता ने अभियोजन पक्ष के पक्ष का समर्थन किया है, मेरा ढृढ़ मत है कि अपीलकर्ता जमानत का हकदार नहीं है।

2 min read
Google source verification
allahabad high court rejects bail plea in rape case

court_hammer.jpg

प्रयागराज. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने चचेरी बहन से रेप करने के दोषी एक व्यक्ति को इस आधार पर जमानत देने से इनकार कर दिया कि इस तरह के अपराध सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त कर देते हैं। याचिकाकर्ता देवेश की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पीलीभीत जिले के न्यायमूर्ति अनिल कुमार ओझा ने कहा कि यह एक स्वीकृत स्थिति है कि अपीलकर्ता और पीड़ित भाई-बहन (चचेरे भाई और बहन) हैं। इस तरह के अपराध सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त कर देते हैं। मामले के तथ्य और परिस्थितियां, विशेष रूप से यह तथ्य कि पीड़िता ने अभियोजन पक्ष के पक्ष का समर्थन किया है, मेरा ढृढ़ मत है कि अपीलकर्ता जमानत का हकदार नहीं है।

दुष्कर्म पीड़िता गर्भवती हो गई थी और उसने एक बच्चे को जन्म दिया था। जमानत से इनकार करते हुए, अदालत ने मामले की स्वीकृत स्थिति को ध्यान में रखते हुए कहा कि अपीलकर्ता और रेप पीड़िता भाई-बहन हैं और बच्चे का डीएनए अपीलकर्ता से मेल खाता है। इससे पहले, अपीलकर्ता के वकील ने प्रस्तुत किया कि उसे गलत तरीके से दोषी ठहराया गया था और निचली अदालत ने रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों की गलत व्याख्या की थी। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी दर्ज करने में एक महीने और चौबीस दिन की अस्पष्टीकृत देरी थी और प्रत्यक्षदर्शियों के साक्ष्य कानून की नजर में स्वीकार्य नहीं हैं।

क्या था वकीलों का तर्क
वकील ने यह भी तर्क दिया कि घटना के समय पीड़िता बालिग थी और अपीलकर्ता ने कथित अपराध नहीं किया है। उन्होंने तर्क दिया कि अपीलकर्ता को केवल पीड़िता के बेटे के साथ डीएनए के मिलान के आधार पर दोषी ठहराना उचित नहीं है क्योंकि वे रिश्तेदार हैं और चूंकि वे एक पूर्वज के वंशज हैं, उनका डीएनए एक ही है। राज्य के वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि पीड़िता गर्भवती हो गई और उसने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका डीएनए अपीलकर्ता के डीएनए से मेल खाता था। अपीलकर्ता द्वारा किया गया अपराध जघन्य है और उसकी जमानत अर्जी खारिज की जानी चाहिए।