
अंबेडकर जयंती
प्रतापगढ़. बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जयंती शायद पहले शायद ही कभी इस शिद्दत से मनायी गयी हो। शायद ही कोई राजनीतिक दल बचा हो जिसकी ओर से जगह-जगह कार्यक्रम न आयोजित किया हो। बसपा ने भी इस बार पहले से ज्यादा वृहद रूप से बाबा सहेब की जयंती मनायी है। ऐसी भी खबरें आयी हैं कि जयंती को लेकर कुछ ज्यादा ही जोश दिखाया गया। प्रतापगढ़ में तो अंबेडकर जयंती पर ऐसा भी जुलूस दिखा जिसमें न सिर्फ असलहा लहराने व फायर करने की बात कही गयी है। एक जुलूूूस मेंं तो एक व्यक्ति राइफल लिये भी दिखा।
प्रतापगढ़ में शनिवार को बाबा साहब अंबेडकर की जयंती पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये गए। जयंती के लिये बड़ा जुलूस निकाला गया। इसमें बड़ी तादाद में लोग शामिल हुए। जलूस में शामिल कार्यकर्ता हाथों में नीले झण्डे लहरा रहे थे। इसमें कुछ के हाथों में असलहे भी बताए गए हैं। वीडियो में तो एक व्यक्ति पिस्तौल लहराकर फायरिंग करता भी दिख रहा है। वह भी तब जब जुलूस पुलिस की मौजूदगी में निकाला गया।
बसपा कायह जुलूस प्रातपगढ़ के अंबेडकर चौराहे से शुरू हुआ। वहां से जुलूस पुलिस लाइन्स गया, कचहरी होते हुए भ्रमण करता जुलूस वापस अंबेडकर चौराहा पहुंचा। वहां पहुंचने के बाद जुलूस में शामिल कार्यकर्ताओं का जोश कुछ ज्यादा ही उफान उफान मारने लगा। कार्यक्रम स्थल से सिविल लाइन्स पुलिस चौकी महज 50 मीटर दूर थी। बावजूद इसके चौराहे पर रास्ता रोककर वहां बाबा साहब के जुलूस के नाम पर प्रदर्शन हुए।
इस प्रदर्शन में कुछ कार्यकर्ता असलहों के साथ भी आए बताए गए। वीडियो में तो पिस्तौल लहराते और फायरिंग करते एक कार्यकर्ता दिख भी रहा है। यह सब कुछ समय नहीं बल्कि कई घंटे तक चला और इसके चलते चौराहे पर हर होर से आने वाली गाड़ियों का जाम लग गया। जाम में एंबुलेंस और सवारी वाहन फंसे रहे। बड़ी बात यह कि चौकी के दरोगा और सिपाही ने मौके पर आकर उन्हें रोकने और गाड़ियों कारास्ता खाली करवाने की जहमत तक नहीं उठायी।
इस जुलूस में बसपा का कोई बड़ा नेता शामिल नहीं था। ज्यादातर युवा कार्यकर्ता और कुछ कम मशहूर चेहरे ही जुलूस में थे। नीली टोपियां सबने पहन रखी थीं और हाथों में नीले झण्डे लहराए जा रहे थे। बाबा साहब की प्रतिमा का माल्यार्पण किया गया। जमकर बाबा साहब की शान में नारेबाजी की गयी।
बता दें कि एससी/एसटी एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीते दो अप्रैल को दलितों के भारत बंद के दौरान हुई हिंसा और बवाल के बाद अब दलितों और अंबेडकर पर सियासत खासी तेज हो गयी है। सपा और बीजेपी जो पहले इस तरह के कार्यक्रमों से दूर रहती थी, उसकी ओर से शायद बसपा से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित किये गए।
by Sunil Somvanshi
Published on:
14 Apr 2018 08:48 pm
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