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कभी यूपी के इस बाहुबली के साथ साये की तरह रहता था ,अलग हुआ तो मुकदमों झड़ी लग गई

कम्मू के खिलाफ मुकदमा दर्ज, अवैध प्लाटिंग के मामले हुई कार्यवाही

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प्रयागराज। कभी बाहुबली का दाहिना कहा जाने वाला कम्मू बागी क्या हुआ उस मुकदमों कि झड़ी लग गई जो उसका पीछा ही नहीं छोड़ रही । कम्मू के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया कमरुल हसन उर्फ कम्मू सहित दर्जन भर लोगों पर अवैध प्लाटिंग के मामले में को लेकर कैंट थाने में शिकायत की गई जिसके बाद मामला दर्ज हुआ है। कम्मू अतीक अहमद के साथ सायें की तरह रहता था ,सियासी महत्वाकांक्षा ने दूरी बढ़ा दी|

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कम्मू के खिलाफ मामला बेली गांव के रहने वाले मोहम्मद इसराइल ने दर्ज करवाया है। इसराइल ने पुलिस को बताया है कि बेली गांव की रहने वाली सायमा बेगम ने 1996 में कम्मू को नसीबपुर बख्तियारी में जमीन दी थी। जिस पर कम्मू खेती कर रहा था। सायमा बेगम ने यह जमीन अपनी असमर्थता बस दे दी थी। क्योंकि वह जमीन पर खेती किसानी का काम नहीं करवा पा रही थी। जिसके बाद से कम्मू इस जमीन पर काबिज है। खेती में मिलने वाली फसल को देता रहा है। लेकिन अब आरोप लगा हैए की कम्मू और उसका भाई फखरुल हसन उर्फ फक्कू इस जमीन पर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं।

पुलिस को दी गई जानकारी के मुताबिक 18 अगस्त को कम्मू और उसका भाई असलहों से लैस होकर दर्जनभर साथियों के साथ पहुंचकर जमीन पर बाउंड्री बनवाने लगा। जिसे प्लाटिंग कर इसे बेचने की तैयारी कर रहा है। ज़मीन पर काम हो रहा हैएउसकी जानकारी के उसने मौके पर पहुंचकर अवैध निर्माण रुकवाने की कोशिश की तो सीने पर राइफल तान कर उसने गोली मारने की धमकी दी गई। भुक्तभोगी का आरोप है कि कई बार शिकायत के बावजूद चौकी व थाने से सुनवाई नहीं हुई इसके बाद उसने एसएसपी से शिकायत की है।एसएसपी के आदेश पर शनिवार को कैंट पुलिस ने मामला दर्ज किया है पुलिस ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है।

अतीक अहमद का बेहद करीबी माना जाने वाला कम्मू बीते कुछ समय से उनसे दूर हो गया है। जानकारों की मानें तो 2017 के विधानसभा चुनाव में कम्मू को बहुजन समाज पार्टी से टिकट मिल रहा था। वह प्रतापगढ़ के किसी विधानसभा क्षेत्र से चुनाव लड़ने की तैयारी में था। लेकिन उसके चुनाव लड़ने पर अतीक अहमद ने आपत्ति जताई थी। उसके बावजूद भी वह चुनावी तैयारी में लगा रहा।बसपा से उसका टिकट लगभग तय हो गया। इसके बाद से अतीक अहमद और कम्मू के बीच दूरी बढ़ गई। इसी मामले के बाद 2015 में धूमनगंज चर्चित अल्कमा हत्याकांड में नामजद कराया गया। हालांकि समाजवादी पार्टी की सरकार में जांच होने के बाद आरोपियों को क्लीन चिट दे दी गई थी । इस मामले में अतीक असरफ समेत अन्य दर्जनभर से ज्यादा लोगों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी। जानकारी के मुताबिक पुलिस द्वारा दी गई क्लीन चिट कोर्ट ने स्वीकार नहीं किया था। उसके खिलाफ वारंट जारी है इसके अलावा करेली में 2013 में हुई हत्या का नाम सामने आया था।