5 दिसंबर 2025,

शुक्रवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यूपी के निचली अदालतों में सीसीटीवी कैमरे के जरिए निगरानी तंत्र विकसित करने का निर्देश

कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षा बलों के अलावा किसी को भी अदालत परिसर में असलहा लेकर प्रवेश न करने दिया जाये।

1 minute read
Google source verification
Allahabad High court

इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिजनौर अदालत में गोली मारकर हत्या की घटना के बाद सी सी टीवी कैमरे के जरिए प्रदेश की अदालतों की सुरक्षा निगरानी तंत्र विकसित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि तकनीकी लोगों की जिलों में जरूरत के अनुसार तैनाती की जाय। कोर्ट ने कहा कि लोक निर्माण विभाग इसकी व्यवस्था करे। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति सुनीत कुमार की खंडपीठ ने जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

कोर्ट ने कहा है कि सुरक्षा बलों के अलावा किसी को भी अदालत परिसर में असलहा लेकर प्रवेश न करने दिया जाये। आदेश की अवहेलना करने वाले को जेल भेजा जाय। कोर्ट ने बायोमेट्रिक कार्ड के जरिए अदालतों में प्रवेश की व्यवस्था करने की कार्यवाही की जाय। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी ने कोर्ट को बताया कि बायोमेट्रिक कार्ड के लिए प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। कोर्ट ने उ.प्र. बार काउन्सिल के सीओपी कार्ड (सर्टीफिकेट आफ प्रैक्टिस) प्रवेश का आधार नहीं है। हालांकि इसका ब्योरा बायोमेट्रिक कार्ड में दर्ज होगा।और इससे प्रदेश की हर अदालत में प्रवेश की अनुमति होगी। प्रयागराज व लखनऊ में सर्वर में अधिवक्ताओं का डाटा तैयार किया जायेगा।

कोर्ट ने राज्य सरकार खासकर अपर मुख्य सचिव गृह व सहयोगी अधिकारियों द्वारा कार्य योजना को जमीनी स्तर पर अमल में लाने की प्रशंसा की है। किन्तु ब्लैक लिस्टेड यूपीआरएल से काम लेने से रोक दिया है। कोर्ट ने लोक निर्माण विभाग को कैमरों की देखभाल करने वाले कर्मचारियों की तैनाती करने निर्देश दिया है। मेरठ में कचहरी और अदालत परिसर को अलग करने के लिए बाउन्ड्रीवाल बनाने की कार्रवाई करने पर सहमति बनी। कोर्ट ने कहा कि जिला अदालत में अधिवक्ताओं का रोल तैयार किया जा रहा है। इस मुद्दे पर 20मार्च को सुनवाई होगी। शेष मुद्दे पर 6 अप्रैल को सुनवाई होगी।

BY- Court Corrospondence