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परिवार रजिस्टर में नाम जोड़ने का डीएम को अधिकार नहीं

- असंतुष्ट होने पर एसडीओ के समक्ष की जा सकेगी अपील

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पत्रिका न्यूज नेटववर्क
प्रयागराज. उत्तर प्रदेश में जिला अधिकारी परिवार रजिस्टर में किसी का नाम नहीं जोड़ सकते है। अगर कोई जिला अधिकारी परिवार रजिस्टर में किसी का नाम जोड़ता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। क्योंकि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने आदेश जारी करते हुए कहा कि परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज या संशोधित करने का अधिकार डीएम को नहीं है। कानून यदि किसी कार्य का तरीका तय करता है तो कार्य भी उसी तरीके से किया जाना चाहिए अन्यथा वह कार्य विधिविरुद्ध माना जाएगा। इसी के साथ कोर्ट ने मैनपुरी के जिलाधिकारी व ग्राम विकास अधिकारी के आदेशों को क्षेत्राधिकार से बाहर करार देते हुए रद्द कर दिया है और एसडीओ को नियमानुसार अर्जी दाखिल होने पर पक्षकारों को सुनकर छह सप्ताह में निर्णय लेने का निर्देश दिया है।

न्यायमूर्ति एसपी केशरवानी एवं न्यायमूर्ति एसके ओझा की खंडपीठ ने दोस्तपुर की राममूर्ति देवी की याचिका को स्वीकार करते हुए यह आदेश जारी किया है। दरअसल मैनपुरी के जिलाधिकारी ने चार मार्च 2020 को तीन लोगों का नाम याची के परिवार रजिस्टर में दर्ज करने का आदेश दिया और याची को संशोधित प्रमाणपत्र जारी कर दिया था।

ग्राम विकास अधिकारी ने 18 मार्च 2020 को रजिस्टर में तीनों नाम शामिल कर लिए, जिसे याचिका में चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याची के तर्कों से सहमत होते हुए कहा कि नियम छह के तहत ऐसी अर्जी दिए जाने पर सहायक विकास अधिकारी पंचायत जांच करेगा और उसकी रिपोर्ट व आदेश पर सचिव ग्राम सभा रजिस्टर में नाम दर्ज करेगा। इससे असंतुष्ट होने पर एसडीओ के समक्ष अपील की जा सकेगी। ऐसे में डीएम को परिवार रजिस्टर में नाम शामिल करने का आदेश देने का वैधानिक अधिकार नहीं है।