
पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क
प्रयागराज. उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में चल रहे बवाल की सीबीआई जांच जल्द ही शुरू हो सकती है। पिछले दो दिनों से देशभर में चर्चा का केंद्र बन चुके इस मामले की सीबीआई जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में पीआईएल दायर हो चुकी है। मंगलवार को दायर हुई इस जनहित याचिका में भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 की ज़िक्र किया गया है। जिसमें 'मृत व्यक्तियों का अधिकार, जीवन की गारंटी और स्वतन्त्रता के अधिकार' की सुरक्षा का हवाला दिया गया है।
प्रयागराज के एडवोकेट गौरव द्विवेदी की ओर से पीआईएल दाखिल की गई है। इस जनहित याचिका में प्रदेश सरकार को फेल बताया गया है। स्वदेशी एनजीओ और प्रयाग लीगल एड. क्लीनिक द्वारा इस जनहित याचिका को दायर किया गया है।
अनुच्छेद 21 पर बहस के बाद होगा सीबीआई जांच का फैसला
जनहित याचिका की पैरवी करने वाले गौरव द्विवेदी कहते है कि, उत्तर प्रदेश की राज्य सरकार मृत और जीवित व्यक्तियों के लिए भारत के संविधान में दर्ज अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटी कृत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की सुरक्षा करने में विफल रही है। ऐसे में राज्य सरकार की एजेंसिया निष्पक्ष जांच करेंगी इस पर संशय है। इसलिए इसकी जांच निष्पक्ष कराने के लिए ‘केन्द्रीय जांच एजेंसी’ को अधिकृत करना चाहिए।
45 लाख मुआवजा, सरकारी नौकरी और मंत्री के बेटे पर एफ़आईआर के बाद माने किसान
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मृतकों के परजनों को 45 लाख मुआवजा, सरकारी नौकरी का भरोसा दिलाने के बाद ही किसानों ने सड़क से मृत लाशों को हटाने दिया।
साथ ही लखीमपुर खीरी मामले में किसानों की ओर से केंद्रीय राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा पर एफ़आईआर दर्ज हो चुकी है। जबकि केंद्रीय मंत्री की ओर से भी क्रॉस एफ़आईआर दर्ज कराई जा चुकी है।
इसी के साथ अलग अलग जगहों पर नज़र बंद किए गए सभी विपक्षी नेताओं को उनके आवास पर भेजकर नज़र बंद किया गया है। वहीं प्रियंका अभी तक सीतापुर जिले के पुलिस लाइन में अभी तक नज़र बंद हैं। उन्हें जल्द ही मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया जाएगा। उनके ऊपर शांति भंग का आरोप है।
Updated on:
05 Oct 2021 03:20 pm
Published on:
05 Oct 2021 03:14 pm
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