
दूसरे राज्यों से आये मजदूरों के पुनर्वास एवं प्रदेश में रोजगार का ले .आउट प्लान तलब
प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि दूसरे राज्यो से आ रहे मजदूरों एवं उनके परिवार के इलाज एवं पुनर्वास सहित ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना वायरस फैलने से रोकने की सरकार की नीति व मानक क्या है। कोर्ट ने पूछा है कि बाहर से लौट कर आये मजदूरों को जीविकोपार्जन के लिए दूसरे राज्यो में जाने मे कमी लाने के लिए प्रदेश में पुनर्वास की क्या योजना है। कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर एक जून को मजदूरों को परिवार सहित प्रदेश मे ही जीविकोपार्जन के लिए ले . आउट प्लान पेश करने का निर्देश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि शहरो से पलायन कर रहे भूखे प्यासे मजदूरों के मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट स्वयं जनहित याचिका कायम कर सुनवाई कर रही है। ऐसे में इस मामले में राज्य सरकार से स्पष्टीकरण लेने की आवश्यकता नहीं है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविन्द माथुर तथा न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की खंडपीठ ने अधिवक्ता ऋतेश श्रीवास्तव व गौरव त्रिपाठी की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका में कहा गया है कि देश के किसी कोने में जीविकोपार्जन के लिए जाने और निवास का संवैधानिक अधिकार है। मजदूरों की मेहनत के बल पर विकास करने वाले राज्यों का वैधानिक दायित्व है कि वे उन्हें भूखे बेहाल होकर राज्य छोडने को विवश न करे।उनके रहने खाने का इंतजाम करे।
याची का कहना है कि मजदूर सडकों पर भूखे प्यासे परिवार सहित अपने राज्य के लिए निकल पडे है।ट्रेनों में उनके खाने का इंतजाम नही है। खाने को लेकर स्टेशनों पर अफरा तफरी मचाने की घटनाएं हुई हैं। याचिका में मजदूरों के मानव गरिमा के साथ भोजन की व्यवस्था करने का समादेश जारी करने की मांग की गयी है। याचिका की सुनवाई 1 जून को होगी।
Published on:
28 May 2020 10:37 am
बड़ी खबरें
View Allप्रयागराज
उत्तर प्रदेश
ट्रेंडिंग
