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यूपी का सबसे बड़ा पुस्तकालय जहां जुटते हैं किताबों के शौकीन, दुनियां भर में मशहूर है नाम

लाइब्रेरी में दुर्लभ किताबों का संग्रह है

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Prayagraj public library is the largest library in UP

यूपी का सबसे बड़ा पुस्तकालय जहां जुटते हैं किताबों के शौकीन, दुनियां भर में मशहूर है नाम

प्रयागराज| उत्तर प्रदेश का सबसे बड़ा पुस्तकालय इलाहाबाद पब्लिक लाइब्रेरी जिसे अब राजकीय पब्लिक लाइब्रेरी के नाम से जाना जाता है। यह अपने आप में ही सैकड़ों वर्षों का इतिहास समेते हुए है। इसकी स्थापना सन 1864 में की गई थी। यह लाइब्रेरी देश ही नहीं दुनियां में अपनी अलग स्थान रखती है। इसकी डिजाइन रिचर्स रॅास्केल बाएन ने इस्कॅाटिस बैरोनियल आर्किटेक्टर पर बनाई थी। यह बिल्डिग 1870 में बनकर तैयार हुई थी।

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पब्लिक लाइब्रेरी में दुर्लभ किताबों का संग्रह है यहां सैकड़ों विद्वानों लेखकों की वो किताबें मिल जाएंगी जो शायद देश में कहीं और जगह न मिल सके। पुस्तकालय में किताबों से लेकर पांडुलिपियों के अद्भुत संग्रह रखे हैं। शिक्षा का शहर कहे जाने वाले प्रयागराज में स्थित इस लाइब्रेरी में किताबों के शौकीनों का मेला सा लगता है।यहां हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत, अरबी, फारसी, बंगला, फ्रेंच व अन्य भाषाओं के जानकारों के लिए भी मशहूर किताबें बरबस मिल जाएंगी। इस लाइब्रेरी में 1. 25 से अधिक किताबें, 40 से अधिक तरह की श्रेणी वाली मैगजींस, 28 अगल अलग न्यूज पेपर व 21 अरबी में लिखी पांडुलिपियां हैं।

इतना ही नहीं अंग्रेजों के जमाने के कई गजेटियर भी इसमें आसानी से मिल जाएंगे। । यह पुस्तकालय वर्तमान समय में देश के शीर्ष 10 प्रमुख सार्वजनिक पुस्तकालयों में शामिल है। गूगल द्वारा इस पुस्तकालय को 4.2 की उत्कृष्ट रैंकिंग प्रदान की गई है।राष्ट्रीय प्रादेशिक तथा स्थानीय स्तर की सभी महत्वपूर्ण समाचार पत्र पत्रिकाएं उपलब्ध हैं। पुस्तकालय में उपलब्ध प्रमुख पुस्तकें शाहनामा महाभारत दीवाने महलीए नाज़नीन प्रेम दीपिका मरसिया रघुवंशी का ज्योतिष शास्त्र गणेश पुराण आदि प्रमुख हैं।

इस पुस्तकालय से दिग्गजों का भी नाता रहा है। पंडित मोतीलाल नेहरू, तेजप्रताप सप्रू, पं मदन मोहन मालवीय, गोविंद बल्लभ पंत, पंडित जवाहरलाल नेहरू,सर सुंदरलाल, डॉक्टर सतीश बनर्जी, सीबी चिंतामणि, सर गंगानाथ झा, डॉक्टर गंगा नाथ, डॉक्टर संपूर्णानंद के प्रमुख नाम शामिल हैं। लाइब्रेरियन डॉ गोपाल मोहन शुक्ला कहते हैं कि सबसे पहले यह समझ लेना चाहिए कि पुस्तक पढ़ने का कोई विकल्प नहीं है। पढ़ने के लिए सबसे पहले शौक पैदा करना जरूरी है। शुक्ला कहते हैं कि पुस्तकें व्यक्ति की सोच को व्यापक तार्किक तथा यथार्थ परक बनाती हैं।