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Mahakumbh 2025: महाकुंभ के इस पांच दिवसीय कथा के समापन पर शामिल हुए हजारों श्रोता 

Mahakumbh 2025: आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास द्वारा ओंकारेश्वर में ‘एकात्म धाम’ स्थापित किया जा रहा है, जिसमें 108 फीट ऊंची ‘एकात्मता की मूर्ति’, अद्वैत लोक संग्रहालय, और अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदान्त संस्थान का निर्माण हो रहा है।

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Mahakumbh

Mahakumbh 2025: आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास, संस्कृति विभाग, मध्यप्रदेश शासन द्वारा सेक्टर-18 स्थित एकात्म धाम शिविर में आयोजित “शंकरो लोकशंकर:” कथा के समापन अवसर पर कथा व्यास और राम जन्मभूमि न्यास के कोषाध्यक्ष स्वामी गोविंददेव गिरि ने श्रोताओं को भावविभोर कर देने वाली कथा सुनाई। उन्होंने आद्य शंकराचार्य के जीवन के विभिन्न प्रेरक प्रसंगों का वर्णन किया।

विश्व कल्याण के लिए हुआ शंकाचार्य का अवतरण

इस अवसर पर स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज की पादुकाओं का पूजन कर उन्हें श्रद्धा-सम्मान अर्पित किया गया। अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा,"भगवान शंकराचार्य का अवतरण सम्पूर्ण विश्व के कल्याण के लिए हुआ था। उनका जीवन और कार्य अद्वितीय हैं। उनके जैसा अनुपम व्यक्तित्व विश्व में दुर्लभ है।"

संपूर्ण विश्वविद्यालय हैं शंकराचार्य

उन्होंने आगे कहा कि भगवान शंकराचार्य एक व्यक्ति नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्वविद्यालय हैं। उनके ग्रंथ केवल शास्त्रार्थ के लिए नहीं, बल्कि मानवता के उत्थान के लिए हैं। भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में उनके वांग्मय और सिद्धांत अमूल्य धरोहर हैं। उन्होंने गणेश, शिव, माता पार्वती, कृष्ण और राम की महिमा में कई स्तोत्रों की रचना की, जिनमें गंगा स्तोत्रम्, नर्मदाष्टकम्, यमुना अष्टकम् और काशी पंचकम जैसे स्तोत्र शामिल हैं, जो भाव-जागृति का अद्भुत स्रोत हैं।

विज्ञान के प्रगति के साथ सिद्ध हुआ शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत

स्वामी गोविंददेव गिरि महाराज ने कहा, "जैसे-जैसे विज्ञान ने प्रगति की, वैसे-वैसे आदि शंकराचार्य का अद्वैत वेदांत सिद्ध होता गया।" उन्होंने माता कामाक्षी के समक्ष श्री यंत्र की स्थापना की और अपनी शंकर दिग्विजय यात्रा के माध्यम से संपूर्ण भारत में धर्म और संस्कृति का प्रचार-प्रसार किया। 

शंकराचार्य ने प्रजातांत्रिक पद्धतियों का किया विकास

भगवान शंकराचार्य ने धर्म एवं समाज की रक्षा के लिए अखाड़ों की स्थापना की और उनमें प्रजातांत्रिक पद्धतियों का विकास किया। उनके द्वारा प्रतिपादित अद्वैत वेदांत सम्पूर्ण विश्व के कल्याण का अचूक मार्ग है। उन्होंने कहा, "इस मत को अपनाना ही विश्व शांति का आधार होगा।"

राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहे हैं प्रकल्प

एकात्म धाम की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, "यह प्रकल्प केवल धार्मिक गतिविधि नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का एक सशक्त आधार है। यह केंद्र भारतीय ज्ञान परंपरा से आने वाली पीढ़ियों को जोड़ने का कार्य करेगा।" उन्होंने बताया कि एकात्म धाम भगवान शंकराचार्य के जीवन, अद्वैत दर्शन और सांस्कृतिक धरोहर को व्यापक रूप में प्रस्तुत करने वाला केंद्र है।

क्या है इन प्रकल्पों का उद्देश्य ?

एकात्म धाम प्रकल्प का उद्देश्य पूर्व से पश्चिम और उत्तर से दक्षिण तक आचार्य शंकर द्वारा स्थापित सांस्कृतिक एकता को पुनः जीवंत करना है। यह शिविर सनातन ज्ञान परंपरा के विराट उत्सव का साक्षी बन रहा है। 

विश्व को प्रेरणा देता है अद्वैत वेदांत 

आचार्य शंकर ने भारतवर्ष का व्यापक भ्रमण कर सम्पूर्ण राष्ट्र को एकात्मता के सूत्र में बांधा। अद्वैत वेदान्त के शिरोमणि, सनातन वैदिक धर्म के पुनरुद्धारक और सांस्कृतिक एकता के महानायक भगवान शंकराचार्य का जीवन-दर्शन अनंत काल तक विश्व को प्रेरणा देता रहेगा। इसी संकल्प के साथ आचार्य शंकर सांस्कृतिक एकता न्यास मध्यप्रदेश शासन के संस्कृति विभाग के सहयोग से ओंकारेश्वर में एकात्म धाम का निर्माण कर रहा है।

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एकात्म धाम प्रकल्प के अंतर्गत होंगे के काम

  1. 108 फीट ऊंची बहुधातु 'एकात्मता की मूर्ति' (Statue of Oneness)
  2. आचार्य शंकर के जीवन और दर्शन पर आधारित संग्रहालय ‘अद्वैत लोक’
  3. अद्वैत वेदांत दर्शन के अध्ययन, शोध और विस्तार के लिए ‘आचार्य शंकर अंतरराष्ट्रीय अद्वैत वेदांत संस्थान’
  4. स्थापित किया जा रहा है। इसे ‘वैश्विक एकात्मता केंद्र (A Global Centre of Oneness)’ के रूप में विकसित किया जा रहा है।