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प्रयागराज में 1996 में पहली बार तड़तड़ाई थी AK-47, विधायक की मौत के 28 साल बाद मिली उदयभान करवरिया को रिहाई

Udaybhan karvariya released: वर्चस्व की लड़ाई में प्रयागराज में पहली बार 1996 में एके-47 गरजी थी, और एक विधायक की हत्या की गई थी। जिसमें करवरिया बंधु आरोपी बनाए गए। कुछ दिन बाद सरकार बदली, तो आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई भी तेज हुई और कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई। उदयभान करवारिया अब सजा के आठ साल बाद रिहा होकर जेल से बाहर आ रहे है।

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प्रयागराज: Udaybhan karvariya released: राज्यपाल की मंजूरी के बाद कारागार विभाग ने पूर्व विधायक उदयभान करवरिया की रिहाई का आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि 30 जुलाई 2023 तक उदयभान करवरिया ने आठ वर्ष तीन माह 22 दिन की अपरिहार सजा और आठ वर्ष नौ माह 11 दिन की सपरिहार सजा काट ली है। एसएसपी और डीएम प्रयागराज द्वारा समयपूर्व रिहाई की संस्तुति किए जाने, जेल में करवरिया का आचरण उत्तम होने और दयायाचिका समिति द्वारा की गई संस्तुति के चलते समयपूर्व रिहाई का आदेश किया जा रहा है। आदेश में कहा गया है कि एसपी और डीएम प्रयागराज के संतोषानुसार दो जमानतें, उतनी ही धनराशि का एक जमानती मुचलका प्रस्तुत करने पर बंदी को मुक्त कर दिया जाए। उधर उदयभान करवरिया के समर्थकों में खासा उत्साह भी हो गया है।

पहली बार प्रयागराज में गरजी थी एके-47
वह दिन था 13 अगस्त, 1996 का सपा के पूर्व विधायक जवाहर यादव उर्फ जवाहर पंडित को दिन दहाड़े प्रयागराज में गोलियों से छलनी कर दिया गया था। यह पहली बार था, जब इलाहाबाद में एके-47 गरजी थी। इस मामले में अदालत ने चार नवंबर 2019 में करवरिया बंधुओं (पूर्व बसपा सांसद कपिल मुनि करवरिया, पूर्व भाजपा विधायक उदयभान करवरिया और पूर्व बसपा एमएलसी सूरजभान करवरिया), उनके साथी रामचंद्र त्रिपाठी उर्फ कल्लू को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

बीजेपी के टिकट (Udaybhan karvariya released) दो बार विधायक बने थे उदयभान
मूलरूप से कौशांबी के मंझनपुर के चकनारा गांव के रहने वाले करवरिया परिवार को पूरे इलाहाबाद में बड़े राजनीति के लिए जाना जाता था। उदयभान करवरिया इस परिवार के पहले सदस्य थे, जिन्होंने सियासी जीत हासिल की थी। इससे पहले उनके दादा जगत नारायण करवरिया 1967 में सिराथू सीट से चुनावी मैदान में उतरे थे, लेकिन हार हाथ लगी थी। फिर उदयभान के पिता विशिष्ट नारायण करवरिया ऊर्फ भुक्खल महाराज ने इलाहाबाद उत्तरी और दक्षिणी विधानसभा से निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े, लेकिन उन्हें भी जीत नहीं मिली। उदयभान करवरिया ने बीजेपी को उस समय सीटें दी थीं जब यूपी में गिनी चुनी सीटों पर भाजपा जीतती थी।