29 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

UPSC Topper Story: 42 साल बाद शक्ति दुबे ने प्रयागराज को दिया टॉपर का ताज, जानिए पहले का रिकॉर्ड

कभी "आईएएस की फैक्ट्री" कहलाने वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय एक बार फिर सिविल सेवा परीक्षा में अपनी दमदार वापसी के लिए सुर्खियों में है। दशकों बाद, 2025 की सिविल सेवा परीक्षा में प्रयागराज ने शीर्ष स्थान हासिल किया।

2 min read
Google source verification

UPSC TOPPER SHAKTI DUBEY: कभी "आईएएस की फैक्ट्री" कहलाने वाला इलाहाबाद विश्वविद्यालय एक बार फिर सिविल सेवा परीक्षा में अपनी दमदार वापसी के लिए सुर्खियों में है। दशकों बाद, 2025 की सिविल सेवा परीक्षा में प्रयागराज ने न केवल शीर्ष स्थान हासिल किया, बल्कि बड़ी संख्या में चयनित प्रतिभागियों की सूची भी दी, जिससे क्षेत्र का गौरव फिर से बढ़ा है।

1982 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के शोध छात्र प्रदीप शुक्ला ने परीक्षा में टॉप किया था, और उनके मित्र व सहपाठी ए.के. विश्नोई ने दूसरा स्थान प्राप्त किया था। दोनों भौतिकी के शोधार्थी थे और अमरनाथ झा छात्रावास में रहते थे। उन्होंने मुख्य परीक्षा में गणित और भौतिकी को वैकल्पिक विषय के रूप में चुना था। उस ऐतिहासिक सफलता के गवाह रहे विश्वविद्यालय के वर्तमान भौतिक विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. कैलाश नाथ उत्तम और सुरक्षा अधिकारी अजय सिंह बताते हैं कि उस समय पूरे परिसर में खुशी की लहर दौड़ गई थी।

उसके बाद भी इलाहाबाद विश्वविद्यालय की प्रतिभाएं सिविल सेवा में चमकती रहीं। 1984 में भूपेंद्र सिंह, जो विश्वविद्यालय से स्नातक और परास्नातक कर चुके थे, ने दूसरी रैंक प्राप्त की थी। वहीं 2009 में, मानवशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. सी.एस. सहाय की पुत्री इवा सहाय ने तीसरी रैंक के साथ महिलाओं में टॉप किया। इसके बाद 2017 में सौम्या पांडेय ने चौथी और अभिलाष मिश्रा ने पांचवीं रैंक हासिल की। 2018 में अनुभव सिंह ने आठवीं रैंक पाकर परचम लहराया।

अब 2025 में शक्ति दुबे ने अखिल भारतीय स्तर पर सर्वोच्च स्थान प्राप्त कर प्रयागराज की परंपरा को नई ऊंचाई दी है। इलाहाबाद विश्वविद्यालय की पीआरओ प्रो. जया कपूर ने कहा कि शक्ति की सफलता न सिर्फ विश्वविद्यालय, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए गर्व की बात है। उन्होंने उम्मीद जताई कि शक्ति जैसे छात्र आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेंगे। विश्वविद्यालय द्वारा शिक्षा के साथ सामाजिक सरोकारों को महत्व देने की नीति अब फलीभूत हो रही है।

"पूरब का ऑक्सफोर्ड" कहलाने वाला यह विश्वविद्यालय एक बार फिर अपनी पुरानी प्रतिष्ठा की ओर लौट रहा है और आने वाले वर्षों में यहां से और भी कई प्रतिभाएं राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाएंगी।