रायगढ़

कागजों में फ्लाई एश की फिलिंग दिखाकर हवा में घोल रहे हैं जहर

CG Hindi news : जिले के उद्योग उत्सर्जित फ्लाईएश का निष्पादन कागजों में दिखा रहे है, लेकिन अब बारी-बारी से इसके प्रमाण भी सामने आने लगे हैं

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Oct 12, 2023

औद्योगिक हब बन चुके जिले के हवा में फ्लाईएश का जहर घुलने लगा है। इसके पीछे कारण उद्योग प्रबंधनों की मनमानी और प्रशासन की अनदेखी को माना जा सकता है। क्योंकि पिछले लंबे समय से जिले के उद्योग उत्सर्जित फ्लाईएश का निष्पादन कागजों में दिखा रहे है, लेकिन अब बारी-बारी से इसके प्रमाण भी सामने आने लगे हैं।

रायगढ़. पर्यावरण विभाग के आंकड़ों के आधार पर देखा जाए तो जिले में संचालित उद्योगों से हर वर्ष करीब सवा करोड़ एमटी फ्लाईएश का उत्सर्जन होता है। इसे उद्योग प्रबंधन सीमेंट प्लांट, लो-लाइन एरिया, ब्रिक्स प्लांट सडक़ निर्माण व अन्य में उपयोग कर फ्लाईएश का निष्पादन दिखाते हैं, लेकिन समय-समय पर सामने आए तथ्यों पर गौर किया जाए तो यह निष्पादन सिर्फ कागजों में दिख रहा है। वास्तव में ऐसा नहीं है। इसके कारण से जिले के आबो हवा में फ्लाईएश का जहर घुल रहा है। जिले के अधिकांश क्षेत्रों में इसका असर देखने को मिल रहा है। आलम यह है कि फ्लाईऐश को जहां-तहां फेंकने से भी गुरेज नहीं किया जा रहा है। जिसकी जहां मर्ची फ्लाईऐश फेंक रहे हैं।

कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति
जिले में संचालित किस उद्योग से हर वर्ष कितना फ्लाईएश उत्सर्जन हो रहा है। इसका आंकड़ा पर्यावरण विभाग के पास उपलब्ध है। वहीं इसका कहां निराकरण हो रहा है इसकी भी जानकारी है, लेकिन मौके पर कभी जांच नहीं की जाती। पर्यावरण विभाग सिर्फ सडक़ किनारे खुले में डंप हो रहे फ्लाईएश पर ट्रांसपोर्टरों के खिलाफ कार्रवाई कर खानापूर्ति कर रहा रहा है।

सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में खरसिया के दर्रामुड़ा स्थित एसकेएस पॉवर जनरेशन ने सारंगढ़ के लालाधुरवा में फिलिंग के लिए दिसंबर 2021 में अनुमति ली है। 80 हजार एमटी फ्लाईएश के फिलिंग के लिए अनुमति लेने के पूर्व भू स्वामी नितीन सिंघल से अनुबंध किया गया, लेकिन उक्त लो-लाइन एरिया में खनिज विभाग के अधिकारियों के अनुसार अब तक एक गाड़ी भी फ्लाईएश डंप नहीं हुआ है। वहीं एसकेएस का ब्रिक्स प्लांट भी पिछले दो साल से बंद पड़ा हुआ है। ऐसे में फ्लाईएश कहां जा रहा है यह एक बड़ा सवाल है। इसके अलावा अन्य जगहों में अनुमति लिए जाने की बात कही जा रही है।

जेएसडब्ल्यू स्टील ने पर्यावरण विभाग को फ्लाईएश निष्पादन के दिए आंकड़े में पिछले तीन साल में 5 लाख एमटी फ्लाईएश माइंस में फिलिंग करना बताया है। आश्चर्य की बात तो यह है कि पर्यावरण विभाग से उक्त उद्योग द्वारा अब तक फ्लाईएश फिलिंग के लिए कोई अनुमति ही नहीं ली। उक्त तथ्य सामने आने के बाद यह कहा जा रहा है कि उद्योग प्रबंधन फ्लाईएश का निष्पादन सिर्फ कागजों में दिखा रहा है। वास्तिवक्ता कुछ और ही है।


हवा के साथ पानी भी हो रही प्रदूषित
जिले में फ्लाईएश कहीं भी अवैध रूप से डंप कर दिया जा रहा है। सडक़ किनारे, आबादी क्षेत्र या फिर नदी व नालों के किनारे डंप हो रहा है। इसके कारण हवा में प्रदूषण फैल रहा है जो कि हवा में उडकऱ भोजन के साथ शरीर में जा रहा है। इससे लोग विभिन्न बीमारी की चपेट में भी आ रहे हैं। वहीं नदी व नालों के किनारे डंप फ्लाईएश के कारण पानी प्रदूषित हो रही है।
- राजेश त्रिपाठी, जनचेतना मंच

टॉपिक एक्सपर्ट

फ्लाईएश को लेकर दिए गए अनुमति के बाद समय-समय पर जांच की जाती है। वहीं शिकायत के आधार पर कार्रवाई भी की जाती है। पिछले दिनों एसकेएस की कई गाडिय़ों पर कार्रवाई हुई है। शिकायत के लिए वाट्सएप नंबर भी जारी किया गया है।
अंकुर साहू, जिला पर्यावरण अधिकारी

Published on:
12 Oct 2023 03:15 pm
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