
रायपुर का 140 साल पुराना अखाड़ा (Photo yahoo)
Nag Panchami 2025: नागपंचमी एक हिंदू पर्व है जो नागों (साँपों) की पूजा के लिए समर्पित होता है। यह सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। रायपुर के श्री महावीर व्यायामशाला (अखाड़े) में नागपंचमी के दिन विशेष पूजा होती है। यह अखाड़ा रायपुर का सबसे पुराना अखाड़ा है और यहां नागपंचमी पर नाग देवता की पूजा की जाती है। इस दिन अखाड़े की मिट्टी से शिवलिंग बनाकर पूजा की जाती है और फिर उसी मिट्टी से पहलवान कुश्ती करते हैं।
नागपंचमी के दिन, श्री महावीर व्यायामशाला में नाग देवता की पूजा की जाती है। यह पूजा अखाड़े की मिट्टी से शिवलिंग बनाकर की जाती है, जिसे बाद में पहलवान कुश्ती के लिए इस्तेमाल करते हैं। इस अखाड़े का इतिहास 1892 का है और यह रायपुर का सबसे पुराना अखाड़ा है।
राजधानी करीब तीन अखाड़े हैं। इन तीनों अखाड़ों में लगभग 400 से अधिक पहलवान कुश्ती का प्रशिक्षण लेने और वर्जिश करने पहुंचते हैं। इनमें बड़ी संख्या में महिला पहलवान भी शामिल हैं। उल्लेखनीय है कि नागपंचमी के दिन पहलवानों के बीच दंगल की प्रथा कई वर्षों से शहर में चली आ रही है। इन अखाड़ों में नागपंचमी पर विशेष पूजा पाठ होती है।
140 साल पुराने जैतू साव मठ, महावीर व्यास अखाड़ा के पहलवान गजेश यदू ने बताया कि जिम में जाकर बॉडी बनाने का क्रेज युवाओं में बढ़ता जा रहा है। जिम में बनायी हुई बाड़ी जिम छोड़ने के बाद लूज हो जाती है। जबकि अखाड़ों में वर्जिश करने से शरीर कभी ढीला नहीं पड़ता। यहां पारंपरिक रूप से दंड मारना, गदा चलाना, रिंग में झूलने से शरीर में मजबूती आती है।
अखाड़ों में आज भी चना, मूंग, मसूर दाल, उड़द दाल, केला आदि का सेवन किया जाता है। उन्होंने बताया कि अखाड़ों की मिट्टी औषधी का काम करती है। इसमें सरसों का तेल, हल्दी, शुद्ध घी और बहुत सी औषधियां मिली होती है, जो दवाई का काम करती है।
अखाड़े में पहलवान जिस मिट्टी पर साल भर कुश्ती बाजी करके अपने आप को निखारते हैं। नाग पंचमी के दिन उसी मिट्टी का शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की जाती है। एक सप्ताह पहले शिवलिंग बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं। पहले मिट्टी को स्टोर करते हैं। मिट्टी को पहाड़ीनुमा बनाते है। पहलवान धीरे-धीरे उसमें पानी डालते हैं. उसमें दूध, दही समेत अनेक पदार्थ डालकर शिवलिंग का आकार देते हैं। इसके बाद विधिवत पूजा पश्चात उसी मिट्टी को पुनः कुश्ती करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह राजधानी रायपुर के मां दंतेश्वरी अखाड़ा में ही देखने को मिलता है।
Updated on:
29 Jul 2025 01:45 pm
Published on:
29 Jul 2025 01:44 pm
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