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क्लास तो लगी नहीं.. फिर कैसे मिल गया नंबर, अच्छे नंबर से पास हो गए MBBS के सेकंड ईयर के विद्यार्थी

Government Medical College: सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकंड ईयर में पिछले साल पैथोलॉजी की एक भी क्लास नहीं लगी, लेकिन 121 में 115 छात्र-छात्राएं पास हो गए।

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CG Government Medical College: सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस सेकंड ईयर में पिछले साल पैथोलॉजी की एक भी क्लास नहीं लगी, लेकिन 121 में 115 छात्र-छात्राएं पास हो गए। वहां पैथोलॉजी में एक भी फैकल्टी नहीं है। इसके बावजूद रिजल्ट 95 फीसदी आया है। जानकार इस पर सवाल उठा रहे हैं। एक भी फैकल्टी नहीं होने कारण हैल्थ साइंस विवि ने कांकेर में इंटरनल व एक्सटर्नल बाहर से भेजे, ताकि परीक्षा कराई जा सके। बता दें कि पिछले साल फर्स्ट ईयर का रिजल्ट भी 99 फीसदी आया था। जबकि वहां एनाटॉमी में एक भी एमडी डिग्रीधारी टीचर नहीं था। वहां लगातार अच्छे रिजल्ट आने पर जानकारों ने सवाल उठाए हैं।

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कांकेर मेडिकल कॉलेज को खुले तीन साल होने वाले हैं। इसके बावजूद वहां जरूरी विषयों के लिए फैकल्टी ही नहीं है। मंगलवार को पं. दीनदयाल उपाध्याय हैल्थ साइंस विवि ने एमबीबीएस सेकंड ईयर का रिजल्ट जारी किया है। पत्रिका ने रिजल्ट काे बारीकी से देखा तो पाया कि वहां पैथोलॉजी व फार्माकोलॉजी विषय में 6-6 छात्र फेल हुए हैं। यानी रिजल्ट श्रेष्ठ रहा है। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि कॉलेज में तीन माह पहले एक सीनियर रेजीडेंट ने पैथोलॉजी विभाग ज्वाइन किया है। वह एमडी पैथोलॉजी है और क्लास ले सकती हैं, लेकिन हाल ही में ज्वाइन करने के कारण वे सालभर नहीं पढ़ा पाईं। वे परीक्षा के लिए इंटरनल बनने के लिए भी पात्र नहीं है।

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सरकारी कॉलेज होने के कारण कांकेर में मेरिट में अच्छे नंबर लाए छात्रों ने प्रवेश लिया है, लेकिन बिना गाइड व टीचिंग के कठिन परीक्षा पास करना आसान नहीं है। पत्रिका छात्रों की मेहनत पर सवाल नहीं उठा रहा है लेकिन मुफ्त में बांटे जा रहे नंबरों के खिलाफ है। इससे अच्छे डॉक्टर नहीं निकलेंगे। वे विषय को जब समझ ही नहीं पाएंगे तो मरीजों का इलाज कैसे करेंगे? नेशनल मेडिकल कमीशन की नजर क्यों जाती, इस पर भी बड़ा सवाल है। दूसरी ओर पैथोलॉजी विषय में नकल करते पकड़े जाने पर विवि ने राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज की एक छात्रा की परीक्षा रद्द कर दी है।