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बंदोबस्त के नाम पर कर दिए 50 हजार किसानों के खेत गायब, फिर से होगा सर्वे

किसानों का कहना था कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जमीन के कारोबारियों से सांठगांठ कर उनके खेत ही गायब करवा दिए हैं।

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बंदोबस्त के नाम पर कर दिए 50 हजार किसानों के खेत गायब, फिर से होगा सर्वे

राजकुमार सोनी@रायपुर. प्रदेश के 50 हजार से ज्यादा किसान ऋण पुस्तिका में त्रुटियों की वजह से भू-माफियाओं के चंगुल में फंसे हुए हैं। चंद रोज पहले आरंग तहसील के ग्राम टेकारी के किसानों ने संभागायुक्त बृजेश मिश्रा से मुलाकात कर अपनी पीड़ा बताई थी। किसानों का कहना था कि राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जमीन के कारोबारियों से सांठगांठ कर उनके खेत ही गायब करवा दिए हैं। किसानों का आरोप है कि वे जब कभी ऋण पुस्तिका में सुधार के लिए तहसील कार्यालय का चक्कर लगाते हैं तो वहां पदस्थ तहसीलदार और नायब तहसीलदार न केवल घुमाते हैं, बल्कि बुरा बर्ताव भी करते हैं।

इस वजह से बढ़ गए प्रकरण : जोगी सरकार ने 14 अगस्त 2003 को अधिसूचना के जरिए बंदोबस्त त्रुटि के सुधार के लिए भू-राजस्व संहिता की धारा 110 के तहत अधीक्षक भू-अभिलेख और सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख को तहसीलदार की शक्तियां प्रदान की थी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत जोगी एक नौकरशाह भी थे, इसलिए वे इस बात को भली-भांति जानते थे कि भू-अभिलेख में मामूली-सी त्रुटि के नाम पर राजस्व न्यायालय में पदस्थ अफसर किस तरह से किसानों को गुमराह और परेशान करते हैं।

तब सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए तात्कालिक राजस्व सचिव की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की थी और मंत्रिमंडलीय उपसमिति भी बनाई गई थी। कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची थी कि भू-अभिलेख में मामूली से सुधार के नाम पर अनुविभागीय अधिकारी, नायब तहसीलदार और तहसीलदारों के लिए काम करने वाले दलाल किसानों को डरा-धमकाकर अनावश्यक उगाही करते थे, जो किसान पैसा देने की स्थिति में होते उनका रेकॉर्ड जल्द ही दुरस्त कर दिया जाता और जिस किसान की स्थिति कमजोर होती उसकी जमीन पर भू-माफिया कब्जा कर लेते थे। किसानों द्वारा एडिय़ां रगड़-रगडक़र दम तोड़ देने वाली स्थिति को भांपकर सरकार ने अधीक्षक भू-अभिलेख और सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख यानी लैंड रेकॉर्ड अधिकारी को बंदोबस्त त्रुटि सुधार के लिए विशेष रूप से तैनात किया। पूर्व सरकार का यह नियम-कायदा अब भी जस का तस है, लेकिन अधीक्षक भू-अभिलेख और सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख बंदोबस्त त्रुटियों में सुधार का काम नहीं कर पा रहे हैं। अब भी यह काम तहसीलदार, नायब तहसीलदार और अनुविभागीय अधिकारी ही कर रहे हैं।

राजस्व विभाग और भू-माफियाओं का खेल

किसानों को नहीं मिल रही राहत, तहसील कार्यालय का लगा रहे चक्कर

राजस्व विभाग के सचिव एन.के. खाखा ने बताया कि प्रदेश के लगभग ३०० से ज्यादा गांव ऐसे हैं जहां बंदोबस्त त्रुटि के सर्वाधिक मामले हैं। इसके अलावा और भी कई गांव हैं, जहां से किसानों की शिकायतें मिलती हैं। यह सही है कि जिस ढंग से बंदोबस्त सुधार का काम होना चाहिए, वैसा नहीं हो पा रहा है। एक भी फिर से सभी मामलों में सर्वे अनिवार्य है। इस बारे में शासन को जानकारी भेजी गई है।

ये अधिकार हैं हासिल यदि कोई किसान ऋण पुस्तिका में त्रुटि की वजह से तहसील कार्यालय का चक्कर काट रहा है तो उसे भटकने के आवश्यकता नहीं है। अधीक्षक भू-अभिलेख और सहायक अधीक्षक भू अभिलेख को इन धाराओं को तहत कई अधिकार दिए गए हैं

धारा- 110- नामांतरण का अधिकार।