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AI effect: होमवर्क और असाइनमेंट लिखने में भी एआई का सहारा, स्कूल मैनेजमेंट को मौलिकता के खत्म होने की चिंता. जारी की गाइडलाइन

AI effect: नया रायपुर स्थित स्कूल में विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है जो एआई जनरेटेड कंटेंट पकड़ लेता है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि हम छात्रों को पूरी तरह रोकना नहीं चाहते।

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AI effect: होमवर्क और असाइनमेंट लिखने में भी एआई का सहारा, स्कूल मैनेजमेंट को मौलिकता के खत्म होने की चिंता. जारी की गाइडलाइन

होमवर्क और असाइनमेंट लिखने में भी एआई का सहारा (Photo Patrika)

ताबीर हुसैन. एआई अब केवल टेक्नोलॉजी या रिसर्च का हिस्सा नहीं रहा, बल्कि स्कूली शिक्षा पर भी तेजी से हावी हो रहा है। हालात यह हैं कि बच्चे होमवर्क और असाइनमेंट लिखने में भी एआई का सहारा लेने लगे हैं। जहां छात्र इसे आसान रास्ता मानते हैं, वहीं स्कूल मैनेजमेंट इसे मौलिकता के खत्म होने की चिंता की बात मान रहे हैं।

नया रायपुर स्थित स्कूल में विशेष सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जा रहा है जो एआई जनरेटेड कंटेंट पकड़ लेता है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि हम छात्रों को पूरी तरह रोकना नहीं चाहते। इसलिए 20 प्रतिशत तक एआई उपयोग की छूट दी गई है। बाकी सामग्री बच्चों को अपनी सोच और मेहनत से तैयार करनी होगी। इसी तरह शहर के एक अन्य स्कूल के प्रिंसिपल का मानना है कि एआई शिक्षा का अहम टूल बन सकता है, लेकिन छात्रों को इसका सही इस्तेमाल सिखाना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि भविष्य में एआई हर क्षेत्र का हिस्सा होगा, इसलिए बच्चों को संतुलित और नैतिक उपयोग की दिशा में मार्गदर्शन ही बेहतर समाधान है। असाइनमेंट पर सख्त गाइडलाइन लागू की गई हैं और मौखिक आकलन से यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चा विषय को वास्तव में समझ रहा है या नहीं।

सीमित छूट, सख्त निगरानी

एक निजी स्कूल के चेयरमैन कैप्टन अंकुर ढिल्लो कहते हैं, हमारे यहां छात्र एआई का सहारा सिर्फ 20 प्रतिशत तक ले सकते हैं। खास सॉफ्टवेयर हर असाइनमेंट की जांच करता है और गड़बड़ी पकड़ लेता है। मकसद यह है कि बच्चे पूरी तरह तकनीक पर निर्भर न होकर अपनी मौलिक सोच को विकसित करें।

संतुलित उपयोग की राह जरूरी

प्रिंसिपल रघुनाथ मुखर्जी कहते हैं कि पाबंदी लगाने से ज्यादा जरूरी है बच्चों को जागरूक करना। इसी दिशा में उनके स्कूल ने कक्षाओं में चर्चा, असाइनमेंट की नई गाइडलाइन और मौखिक परीक्षाएं लागू की हैं। उनका मानना है कि छात्रों को नैतिकता और जिम्मेदारी सिखाकर ही भविष्य के लिए तैयार किया जा सकता है।