फिंगेश्वर। ग्राम पंचायत खैरझिटी में आदिवासी ध्रुव समाज द्वारा 8 दिवसीय भोजली पर्व धूमधाम से मनाया गया। सावन माह के सप्तमी तिथि से भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष यानी रक्षाबंधन के दूसरे दिन भोजली का विसर्जन किया जाएगा। भोजली पर्व छत्तीसगढ़ के आदिवासियों के लिए महत्वूर्ण त्यौहार है। इसमें कुम्हार से लेकर बैगा सबकी भागीदारी होती है।
मान्यता है कि इस दिन से नए जीवन की शुरुआात की जाती है। भोजली लोकगीत लोगों में नया उत्साह भर देता है। देश के कई राज्यों में इस पर्व को धूमधाम से मनाया जाता है। भोजली छोटी-छोटी टोकरियों में मिट्टी डालकर गेंहू के दाने बोए जाते हैं। भोजली नई फसल का प्रतीक होती है। भोजली का अर्थ भूमि में जल से है। छत्तीसगढ़ में भोजली कान में लगाकर मित्र बनाए जाते हैं और जीवन भर मित्रता कर एक-दूसरे के साथ निभाते हंै। वहीं महिलाएं इसकी पूजा करती हैं। भोजली दाई देवी के सम्मान में भोजली सेवा गीत गाए जाते हैं। सामूहिक स्वर में गाए जाने वाले भोजली गीत को छत्तीसगढ़ी लोकगीत भी कहते है। किसान खेतों में इस समय धान की बुआई, प्रारंभिक निदाई का काम समापन की ओर होता है। आदिवासी लड़कियां अच्छी वर्षा व भरपूर भंडार देने वाली फसल की कामना करते हुए फसल के प्रतीकात्मक रूप से भोजली का आयोजन करती है। इसे रक्षाबंधन की दूसरे दिन विसर्जन करते हैं। नदी, तालाब और सागर में भोजली को विसर्जित करते हुए अच्छी फसल की कामना की जाती है।
आदिवासी ध्रुव समाज द्वारा भोजली विसर्जन कार्यक्रम की टोली खैरझिटी से रायपुर के बूढ़ातालाब इंडोर स्टेडियम गई है। इस कार्यक्रम में सरपंच सियाराम ध्रुव, पाली सर्कल के अध्यक्ष कोमन ध्रुव, इंद्रमण ध्रुव, चंद्रशेखर ध्रुव, तीजू राम ध्रुव, बहरराम ध्रुव, रूमेश ध्रुव, हरिशंकर ध्रुव, दयालू राम, संतोष कुमार ध्रुव, निर्मला ध्रुव, देवांतीन ध्रुव, प्रेमीन ध्रुव, कौशिल्या ध्रुव, बिदा ध्रुव, खागेश्वरी ध्रुव, मालती ध्रुव, रत्ना ध्रुव, लुमेश्वरी ध्रुव आदि उपस्थित थे।