script

ब्लैक फंगस पर बोले AIIMS निदेशक – यह नई बीमारी नहीं, पहले भी होती थी लेकिन अब ज्यादा मरीज

locationरायपुरPublished: May 31, 2021 12:15:21 pm

Submitted by:

Ashish Gupta

छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी (Corona Pandemic in Chhattisgarh) के बीच ब्लैक फंगस (Black Fungus Mucormycosis) का खतरा भी गंभीर होता जा रहा है। एम्स में छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों के 130 मरीज भर्ती है।

Black fungus

Black fungus

रायपुर. छत्तीसगढ़ में कोरोना महामारी (Corona Pandemic in Chhattisgarh) के बीच ब्लैक फंगस ( Black Fungus Mucormycosis) का खतरा भी गंभीर होता जा रहा है। एम्स में छत्तीसगढ़ समेत दूसरे राज्यों के 130 मरीज भर्ती है। AIIMS में निदेशक व ईएनटी के विभागाध्यक्ष डॉ. नितिन एम नागरकर के नेतृत्व में डॉक्टरों की टीम मरीजों के इलाज में जुटी हुई है। 20-25 दिनों के भीतर 47 मरीजों की सफल सर्जरी की जा चुकी है। ‘पत्रिका’ के साथ निदेशक डॉ. नितिन एम नागरकर से बातचीत में ब्लैक फंगस से संबंधित कई तथ्य निकलकर सामने आए। प्रस्तुत हैं बातचीत के अंश-

यह भी पढ़ें: सावधान! प्ले-स्टोर पर फर्जी कोविन और आरोग्य सेतु से मिलते-जुलते ऐप की भरमार, रहे सतर्क वरना

प्रश्न- ब्लैक फंगस के संक्रमण को नाक से मस्तिष्क तक पहुंचना में कितना समय लगता है?
निदेशक- ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों के दांत, जबड़ा, नाक, मुंह, आंख और मस्तिष्क प्रभावित हो रहे हैं। सामान्यत: 2 से 5 दिनों के भीतर साइनस, नाक, आंख के रास्ते मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। ब्लड के माध्यम से इसका संक्रमण शरीर के एक से दूसरे भाग में पहुंचता है। नाक से सीधे मस्तिष्क तक पहुंचने से इनकार नहीं किया जा सकता है। 24 घंटे के भीतर भी संक्रमण मस्तिष्क तक पहुंच सकता है।
प्रश्न- सबसे ज्यादा किसको खतरा है? क्या सामान्य व्यक्ति में भी संभव है?

निदेशक- अनियंत्रित डायबिटीक और कमजोर इम्युनिटी वालों को ज्यादा खतरा है। एम्स में भर्ती करीब सभी मरीजों को डायबिटीज है। यह नई बीमारी नहीं है। अब ज्यादा मरीज सामने आ रहे हैं।

यह भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में मौतों का आंकड़ा 13,000 के पार, लेकिन एक्टिव मरीज 40 हजार से कम

प्रश्न- एम्स में ब्लैक फंगस के कितने ऐसे मरीज हैं, जिन्होंने स्टेरॉयड या ऑक्सीजन थैरेपी का इस्तेमाल किया है?
निदेशक – 70 फीसदी ऐसे मरीज हैं, जिनको इलाज के दौरान स्टेरॉयड या ऐसे कोई इंजेक्शन दिए गए है या ऑक्सीजन थैरेपी का इस्तेमाल हुआ है। 30 फीसदी की हिस्ट्री नहीं मिली है। बहुत से ऐसे मरीज भर्ती हैं जो होम आइसोलेशन में रहे हैं और उनको भी ब्लैक फंगस हो गया है।
प्रश्न- क्या कोरोना इलाज के दौरान भी बीमारी के होने की संभावना है?
निदेशक- एम्स में भर्ती ऐसे भी कुछ मरीज हैं, जिनमें कोरोना इलाज के दौरान ही ब्लैक फंगस हो गया है। इसका कारण यह है कि मरीज गंभीर होने की वजह से ज्यादा दिनों से भर्ती हैं और इस दौरान स्टेरॉयड चल रहा है। ऐसे मरीजों के लिए एम्स में अलग से वार्ड बनाया गया है।

यह भी पढ़ें: नई आफत: कोविशील्ड का लगाया डोज, लिंक से मिल रहा कोवैक्सीन का सर्टिफिकेट

प्रश्न- लोगों में फंगस के लक्षण कितने दिनों में नजर आने लगते हैं?
निदेशक- कोरोना को मात दे चुके लोगों में तीन से चार हफ्ते में लक्षण नजर आने लगते हैं। आंख व नाक के आसपास दर्द और लाली रहना, बुखार, सिर दर्द, खांसी, सांस लेने में कठिनाई, खून की उल्टी व मानसिक स्थिति में बदलाव, नाक में रुकावट या जमाव, नाक से काला और खूनी स्राव, चेहरे के एक तरफ दर्द, सुन्न और सूजन, नाक व तालू पर कालापन आना, दांतों में दर्द व उनका ढीला होना, जबड़े में परेशानी आदि इसके लक्षण हैं।

प्रदेशभर में 166 मरीजों की पुष्टि
प्रदेश में अब तक ब्लैक फंगस के 166 मरीज मिल चुके हैं, जिसमें से दो डिस्चार्ज हुए हैं। 8 मौत भी हो चुकी है, हालांकि स्वास्थ्य विभाग 6 की ही पुष्टि कर रहा है। ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मरीज 44 दुर्ग में मिले हैं। इसके बाद रायपुर में 22 तथा रायगढ़ में 14 की पुष्टि हुई है। बालाघाट के 2, जोधपुर, पंचकुला, रांची और उमरिया के एक-एक मरीज राजधानी के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती होकर इलाज करा रहे हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो