CG Board: माशिमं की अध्यक्ष रेणु पिल्लै ने पालकों से आग्रह किया कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के पहले व बाद में अपने बच्चों को भरोसा दिलाएं कि यदि कम अंक मिले हैं तो उन्हेें मायूस होने की आवश्यकता नहीं है।
CG Board: छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल (माशिमं) ने परामर्श टोल फ्री नंबर में प्रदेशभर के छात्र बोर्ड परीक्षा परिणाम जारी होने से पहले होने वाले तनाव से बचने लिए कई तरह के सवाल पूछ रहे हैं। माशिमं की ओर से जारी टोल फ्री नंबर 1800-233-4363 पर प्रतिदिन 30-40 फोन कॉल आ रहे हैं। एक छात्र ने पूछा कि रिजल्ट कब आएगा, फिक्स डेट बता सकते हैं?
तनाव हो रहा है। मेरा रिजल्ट क्या होगा। ऐसे विभिन्न प्रकार के कई प्रश्न पूछे गए। कुछ ने पूछा कि नाम त्रुटि सुधार के लिए क्या करना होगा। माशिमं के विशेषज्ञ उन बच्चों का मार्गदर्शन करने के साथ उनकी समस्या का निराकरण कर रहे हैं। परामर्श टोल फ्री नंबर परिणाम जारी होने के बाद भी 4-5 दिन तक बच्चों को तनाव से बचाने हेतु सलाह देने के लिए उपलब्ध रहेगा।
हेल्पलाइन में शनिवार को मनोचिकित्सक व कैरियर कांउसलर डॉ. अरुणा जैन, माशिमं के उपसचिव जेके अग्रवाल, नोडल अधिकारी डॉ. प्रदीप कुमार साहू के नेतृत्व में सहायक प्राध्यापक मनीषी सिंह ने परीक्षार्थियों और अभिभावकों के परीक्षा परिणाम से पूर्व उनके मन में आने वाले विभिन्न प्रकार के प्रश्नों और समस्याओं का निराकरण कर रहे हैं।
कुछ दिनों पहले तनाव प्रबंधन के लिए एससीईआरटी व माध्यमिक शिक्षा मंडल के संयुक्त तत्वाधान में वेबीनार का आयोजन किया गया, जिसमें मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों, कॅरियर सलाहकार और एससीईआरटी के विशेष तनाव से बचने के लिए कई टिप्स बताए गए।
माशिमं की अध्यक्ष रेणु पिल्लै ने पालकों से आग्रह किया कि परीक्षा परिणाम घोषित होने के पहले व बाद में अपने बच्चों को भरोसा दिलाएं कि यदि कम अंक मिले हैं तो उन्हेें मायूस होने की आवश्यकता नहीं है, ऐसी कई फील्ड हैं, जहां कम नंबर वाले बच्चे भी काफी आगे बढ़ रहे हैं। शिक्षक व पालक ही बच्चों के तनाव को दूर करने में अहम भूमिका अदा कर सकते हैं।
करियर काउंसलर व शैक्षिक मनोवैज्ञानिक ने डॉ. वर्षा वरवंडकर कहा कि वर्तमान समय में सिर्फ एजुकेशन का ही महत्व नहीं है, बल्कि स्किल डेवलप करना जरूरी है। उन्होंने बताया कि सिर्फ पारम्परिक शिक्षा में कॅरियर नहीं है आज लगभग 5000 से भी ज्यादा कॅरियर है, जिनमें आप अपनी रूचि व क्षमता के अनुसार जा सकते हैं।
शांत व मौन रहना
गुमसुम रहना
किसी काम में मन न लगना
चिढचिढ़ापन व भूख नहीं लगना आदि
इन तथ्यों के आधार पर बच्चों की समुचित निगरानी व्यवस्था सुनिश्चित की जाए