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CG Election 2023: रायपुर के सात विधानसभा सीटों की पिच रिपोर्ट… क्या 1-6 के स्कोर को सुधार पाएगी भाजपा, उत्तर पर सुपर ओवर के चांस

CG Election News: हम लोग क्रिकेट और पॉलिटिक्स की बात ट्रैफिक रेडलाइट में भी तसल्ली से कर सकते हैं, फिलहाल तो मौका ही दोनों पर तसल्ली से बात करने का है।

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CG Election News: रायपुर के सात विधानसभा सीटों की पिच रिपोर्ट... क्या 1-6 के स्कोर को सुधार पाएगी भाजपा, उत्तर पर सुपर ओवर के चांस

CG Election News: रायपुर के सात विधानसभा सीटों की पिच रिपोर्ट... क्या 1-6 के स्कोर को सुधार पाएगी भाजपा, उत्तर पर सुपर ओवर के चांस

शिव शर्मा। रायपुर। CG Election News: हम लोग क्रिकेट और पॉलिटिक्स की बात ट्रैफिक रेडलाइट में भी तसल्ली से कर सकते हैं, फिलहाल तो मौका ही दोनों पर तसल्ली से बात करने का है। खिलाड़ी और नेता दोनों ही छक्के उड़ाने और कैच लपकने में लगे हैं। मौसम उस रफ्तार से ठंडा नहीं हो पा रहा जितनी स्पीड से क्रिकेट वर्ल्ड कप और विधानसभा चुनाव की गरमी बढ़ रही है। यहां इसी माहौल में चर्चा रायपुर जिले की सात विधानसभा सीटों की।

विधानसभा चुनाव 2018 का रेकॉर्ड बताता है कि कांग्रेस ने सीटों का सिक्सर (6 सीटें जीती: रायपुर पश्चिम, उत्तर, ग्रामीण, आरंग, धरसीवां, अभनपुर) लगाया था और भाजपा इकलौता विकेट बृजमोहन अग्रवाल (रायपुर दक्षिण) का बचा पाई थी। फिर दोनों टीमों के खिलाड़ी घोषित कर दिए हैं। कुछ सुपर अनुभवी हैं तो नए चेहरों को भी मौका मिला है।

मैच की रणनीति के तहत चौंकाने वाले प्रयोग भी हैं तो एक जगह पिता ने बैट अपने पुत्र को थमा दिया है। एक टीम ने महिला प्लेयर भी उतारा है। पिच रिपोर्ट बताती है कि अधिकांश सीटों पर मुकाबला कांटे का रहेगा। विराट कोहली की तरह मेहनत करके रन बनाने होंगे। कुछ सीटों पर अंतिम वक्त तक ऊंट किसी भी करवट पलट सकता है। किक्रेट की भाषा में कहें तो मैच टाई होने के बाद सुपर ओवर तक जा सकता है।

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रायपुर पश्चिम

यहां भाजपा ने पिछला चुनाव हारे पूर्व मंत्री राजेश मूणत को कांग्रेस विधायक विकास उपाध्याय के सामने उतारा है। पिछले बार जीत का अंतर मात्र 12 हजार वोटों का था इसलिए मुकाबले में कड़ी टक्कर है।

जातिगत गणित: इस सीट पर ओबीसी विशेषकर साहू वोटरों की संख्या ज्यादा है, जो परंपरागत रूप से भाजपा का वोटर माना जाता है। क्षेत्र एजुकेशन हब भी है। पढ़े-लिखे समझदार वोटर काफी हैं। स्लम वोटर्स भी हैं जिनका झुकाव पट्टा वितरण से कांग्रेस की ओर हो सकता है।

प्रत्याशी +

विकास उपाध्याय: मिलनसार, पूरे समय क्षेत्र में सक्रिय, जनता को उपलब्ध

नई-नई एक्टिविटी कर चर्चा में बने रहने का हुनर।

राजेश मूणत: बतौर मंत्री क्षेत्र का विकास, कार्यकर्ताओं को उपलब्ध, 6 महीने से सक्रियता बढ़ाई।

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रायपुर दक्षिण

जब से ये सीट बनी भाजपा यहां से कभी हारी नहीं। बृजमोहन अग्रवाल के सामने कांग्रेस के सारे प्रयोग फेल रहे। इस बार सबसे चौंकाने वाला प्रयोग कर कांग्रेस ने दूधाधारी मठ के महंत धर्मगुरु रामसुंदर दास को यहां से उतारा है।

एक तरह से गुरु-चेले का मुकाबला है। धर्मसंकट भाजपा पार्षद के सामने भी है। क्षेत्र के लगभग 5 भाजपा पार्षद भी रामसुंदर दास के शिष्य हैं। पार्षद दुविधा में हैं कि गुरु को देखें या पार्टी के उम्मीदवार को।

जातिगत गणित: मिक्स वोटर्स हैं। यादव, मुस्लिम, अग्रवाल, ब्राह्मण सभी हैं। व्यापारी वर्ग बहुतायत में है। अधिकांश बृजमोहन समर्थक।

प्रत्याशी +

बृजमोहन अग्रवाल: सभी से मेलजोल, जमीनी पकड़, बिना चुनाव भी क्षेत्र में हमेशा सक्रिय, लगभग हर वोटर से रिश्ता।

रामसुंदर दास: मठ के महंत होने के नाते क्षेत्र में अच्छा प्रभाव। 6-7 वार्ड में अच्छी पकड़। इसी कारण भाजपा के कुछ वोटर्स खींच सकते हैं। कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स से भी समर्थन की उम्मीद।

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रायपुर उत्तर

यहां मैच दिलचस्प है। एक सर्वे में कांग्रेस विधायक कुलदीप जुनेजा की स्थिति कमजोर आई तो काफी दावेदारों ने इसे अच्छा मौका मानकर अपने लिए फील्डिंग शुरू कर दी। फिर जब भाजपा ने पुरंदर मिश्रा के रूप में नया चेहरा मैदान में उतारा तो कांग्रेस के खेमे में उत्साह और रस्साकशी बढ़ गई। जुनेजा का टिकट लगभग कट ही गया था। दो नए नाम आए लेकिन फाइनल होते-होते रह गए। यहां सिंधी समाज की नाराजगी गुगली जैसी रहेगी। जो समय से इसका हल खोज लेगा वो मैन ऑफ द मैच बनेगा।

जातिगत गणित: सिंधी, पंजाबी, उड़िया, गुप्ता, गुजराती समुदाय और ओबीसी वोटर्स। डॉक्टर भी काफी हैं।

प्रत्याशी +

कुलदीप जुनेजा: स्कूटर पर घूमने वाला पुराना चेहरा, मिलनसार, सहज उपलब्ध, सभी समुदायों में पकड़।

पुरंदर मिश्रा: अधिकांश वोटर्स के लिए नया चेहरा, लेकिन क्षेत्र की अच्छी-खासी आबादी उड़िया समाज के लिए जाने-माने नाम। जगन्नाथ मंदिर के अध्यक्ष होने के नाते प्रतिष्ठित भी।