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‘लेडी सुपरकॉप’ के नाम से मशहूर हैं ये महिला अफसर, नाम से ही अपराधियों के छूटते हैं पसीने, लेकिन…

अपनी पुलिसिंग का लोहा मनवाने वाली तमाम महिला पुलिस अधिकारियों को पिछले कुछ दिनों में फील्ड से हटाकर ऐसी जगहों पर स्थानांतरित कर दिया गया है जहां उनके लिए अपनी काबिलियत को दिखाने के अवसर कम हैं।

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'लेडी सुपरकॉप' के नाम से मशहूर हैं छत्तीसगढ़ की ये IPS, नाम से ही अपराधियों के छूटते हैं पसीने

रायपुर. नेहा पाण्डेय, वर्तमान पोस्टिंग- एएसपी मुख्यालय रायपुर पूर्व पोस्टिंग- एएसपी गरियाबंद अभी पंद्रह दिन भी नहीं बीते जब नेहा पाण्डेय के नेतृत्व में पुलिस दल ने हरियाणा के नामी मेवात गैंग के चार कारकुनों को धर दबोचा था। यह गिरोह पूरा एटीएम ही उखाड़कर ले जाता था। नेहा पाण्डेय की वजह से ओडिशा से होने वाली गांजा तस्करी पर लगाम लगाने में पुलिस सफल रही। इन्होंने केवल एक साल में 25 से ज्यादा गांजा तस्करों को सलाखों के पीछे कर दिया।

अर्चना झा, वर्तमान पोस्टिंग - जोनल पुलिस अधीक्षक, विशेष शाखा बिलासपुर- पूर्व पोस्टिंग - एएसपी ग्रामीण बिलासपुर - अपने बच्चे को लेकर रात में गश्त करने वाली इस आइपीएस अधिकारी की चर्चा एक वक्त पूरे प्रदेश में रही है। महिलाओं के शोषण उत्पीड़न के तमाम मामलों में सख्त रवैया अपनाने वाली इस महिला आइपीएस अधिकारी ने बिलासपुर में हत्या और लूट के एक दर्जन से ज्यादा मामलों का पर्दाफ़ाश किया। पुलिसिंग के अलावा महिलाओं बालिकाओं के लिए अलग अलग किस्म के जन जागरण अभियान चलाए।

किस्म-किस्म के तबादले
छत्तीसगढ़ में महिला पुलिसकर्मियों के इस किस्म के तबादले को बेहद चिंताजनक बताते हुए एक महिला पुलिस अधिकारी कहती हैं कि उन्हें पता है कि हम प्रतिरोध नहीं करेंगे, इसलिए इस किस्म के ट्रांसफर किये जा रहे हैं। चौंका देने वाली बात यह भी है कि हाल में जो 27 राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों की सूची जारी की गई है, उनमें पहले से फील्ड से बाहर रखी गई महिलाओं के तबादले भी फील्ड के बाहर ही किये गए हैं, वहीं किसी भी महिला को फील्ड में एएसपी या डीएसपी नहीं बनाया गया है। जैसे कि रश्मित कौर चावला उप पुलिस अधीक्षक टेलीकॉम रेडियो बिलासपुर से उप पुलिस अधीक्षक एसीबी रायपुर का तबादला हुआ है, वहीं गायत्री सिंह उप सेनानी 3री वाहिनी छसबल अमलेश्वर को एएसपी एसआइबी पुलिस मुख्यालय रायपुर हुआ है।

पुरुषों की तुलना में ज्यादा काम, फिर भी तबादला, महिला अधिकारियों की मुश्किलें
छत्तीसगढ़ पुलिस में चौंकाने वाली तबादला नीति की वजह से महिला अधिकारियों के लिए मुश्किलें बढती जा रही है। अपनी पुलिसिंग का लोहा मनवाने वाली तमाम महिला पुलिस अधिकारियों को पिछले कुछ दिनों में फील्ड से हटाकर ऐसी जगहों पर स्थानांतरित कर दिया गया है जहां उनके लिए अपनी काबिलियत को दिखाने के अवसर कम हैं। पिछले दिनों किये गए एएसपी लेवल के स्थानान्तरण में एक साथ आठ महिला पुलिस अधिकारियों को या तो मुख्यालय से अटैच कर दिया गया या फिर उन्हें सशस्त्र बल या विशेष शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया।

इनमे से कुछ राज्य पुलिस सेवा की अधिकारी हैं तो कुछ भारतीय पुलिस सेवा की। इस तबादले से ज्यादातर महिला अधिकारी बेहद नाखुश है। नाम न छापने की शर्त पर हाल के दिनों में फील्ड से हटाकर अन्य कार्य में लगाईं गई एक महिला पुलिस अधिकारी ने कहा कि हमें फील्ड में पुरुषों की तुलना में ज्यादा काम इसलिए करना पड़ता है, क्योंकि हमें डर रहता है कि महिला होने की वजह से यह न कह दिया जाए कि महिलाएं नहीं कर पाएंगी, लेकिन उसका नतीजा हमे इस बेसिर पैर के तबादले के रूप में मिला है।

ताबड़तोड़ तबादलों के बाद अब गिने-चुने जिलों में रह गईं महिला एएसपी
अगर मौजूदा स्थिति को देखे तो पता चलता है कि छत्तीसगढ़ के 27 जिलों में से केवल दो जिलों में ही महिला एसपी पदस्थ हैं। उन्हें खासतौर से ऐसे जिलों में तैनाती दी गई है जहां क्राइम रेट्स कम हैं। अब गिने-चुने जिले रह गए हैं जहां महिला एएसपी के तौर पर तैनात हैं। यह एक मात्र ऐसा प्रदेश है जहां सीआइडी या फिर क्राइम ब्रांच में एक भी महिला पुलिस अधिकारी की तैनाती नहीं है।

पिछले वर्ष की शुरुआत के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में डीआइजी रैंक से इन्स्पेक्टर रैंक तक कुल 103 महिला पुलिस अधिकारियों की तैनाती थी, इनमे डीआइजी रैंक पर 1, एसएसपी या एसपी रैंक पर तीन, एडिशनल एसपी रैंक पर 12, एएसपी डिप्टी एसपी रैंक पर 30 और इन्स्पेक्टर रैंक पर 55 महिलाओं की तैनाती थी। चौंकाने वाली बात यह है कि राज्य में पुलिसकर्मियों की कुल संख्या की तुलना में महिला पुलिस बल महज 1.99 फीसदी है। लेकिन फिर भी उन्हें सम्मानजनक पोस्टिंग नहीं मिल पा रही है।