8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG News: किसानों को बड़ी राहत! रजिस्ट्री में अब भूमि के पेड़ों का नहीं होगा मूल्यांकन, CM ने जारी किया आदेश

Raipur News: छत्तीसगढ़ सरकार ने लोगों को वृक्षों वाली भूमि के कारण रजिस्ट्री में होने वाली परेशानी से बचाने के लिए नया आदेश जारी किया है। अब रजिस्ट्री में भूमि पर वृक्ष का मूल्यांकन नहीं होगा।

2 min read
Google source verification
CG News

CG News: साय सरकार ने किसानों को राहत देने के उद्देश्य से जमीन की रजिस्ट्री में बड़ा बदलाव किया है। अब जमीन की रजिस्ट्री के समय यदि वृक्ष है, तो उसके मूल्य को बाजार मूल्य के लिए गणना करते समय नहीं जोड़ा जाएगा। यानी जमीन के बाजार मूल्य के आधार पर ही उसकी रजिस्ट्री होगी। अभी तक किसी की जमीन में साल, सौगान जैसे अन्य इमारती लकड़ी के वृक्ष है, तो उसका मूल्य भी बाजार मूल्य में जोड़ कर लिया जाता था। उस पर स्टांप ड्यूटी और पंजीयन शुल्क लिया जाता था। इससे रजिस्ट्री की कीमत बढ़ जाती थी। अब ऐसा नहीं होगा।

दरअसल, महा निरीक्षक पंजीयन के अध्यक्षता में केंद्रीय मूल्यांकन बोर्ड की बैठक हुई थी। इसमें निर्णय लिया गया था कि वृक्षों के मूल्य गणना से संबंधित उपबंध के प्रावधान को विलोपित कर दिया जाए। इसका आशय यह है, कि किसी संपत्ति पर वृक्ष होने या नहीं होने से उसके बाजार मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

यह भी पढ़े: मैं क्या पाकिस्तान में रहता हूं… लखमा के उठाए मुद्दे पर भिड़े पूर्व CM व अरुण साव, स्पीकर बोले- आज कोई डिस्टर्ब नहीं करेगा

जनहित में राजस्व नुकसान भी करेंगे बर्दाश्त

प्रदेश में इस नई व्यवस्था के लागू होने से सरकार को राजस्व का नुकसान होगा। यह राशि 10 करोड़ के आसपास होगी। इस संबंध में पंजीयन एवं मुद्रांक आयुक्त पुष्पेन्द्र कुमार मीणा कहते हैं कि इससे सरकार के राजस्व को नुकसान होगा, लेकिन यह एक जनहित से जुड़ा फैसला है। इससे खासकर किसानों को ज्यादा फायदा होगा।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय और वाणिज्य कर (पंजीयन ) मंत्री ओपी चौधरी ने किसानों की समस्याओं को देखते हुए इस व्यवस्था में बदलाव के निर्देश दिए थे, ताकि किसानों को ज्यादा परेशानी न हो। बता दें कि पूर्व की व्यवस्था में यदि किसी जमीन में इमारती पेड़ है, तो उसके लिए पटवारी का भी प्रतिवेदन लगता था। इस वजह से कागजी कार्रवाई आदि में भी विलंब होता था।