
RTO Raipur: हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट ( एसएचआरपी) तमाम कोशिशों के बाद अब तक 80 फीसदी वाहनों में नहीं लग पाई है। इसे लगाने के लिए तमाम झमेले को देखते हुए अधिकांश वाहन चालक ऑनलाइन आवेदन करने के साथ ही आरटीओ कार्यालय और परिवहन सेवा केंद्र के चक्कर लगा रहे हैं।
वहीं, दूसरी तरफ राज्य पुलिस वाहनों की सख्ती से जांच कर रही है। मोटरयान अधिनियम की आड़ में आरसी, डीएल, हेलमेट के साथ ही नंबर प्लेटों की जांच कर रही है। इसके लिए प्रदेशभर में अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही चालानी कार्रवाई की जा रही है। साथ ही एसएसआरपी लगाने सख्ती से समझाइश दी जा रही है। जबकि प्रदेशभर में 1 अप्रैल 2019 के पहले के करीब 31 लाख वाहनों में इसे लगाया जाना है। लेकिन, इस समय करीब 1 लाख ही लग पाए हैं और 50000 आवेदन मिले है।
बता दें कि प्रदेश में 80 लाख से ज्यादा वाहन परिवहन विभाग में पंजीकृत हैं। इनमें से 8 लाख वाहनों को कंडम और सड़कों से बाहर होने की आशंका जताई जा रही है। ऑनलाइन शिकायत दर्ज करने के लिए चेसिस नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर, आधार कार्ड और मोबाइल नंबर जैसे विवरण दोबारा देना होता है। लेकिन, एक बॉक्स में 500 शब्दों की सीमा है। वहीं, ई-मेल से शिकायत करने की सुविधा नहीं होने के बाद भी ई मेल जरूर मांगा जाएगा और उसमें आने वाले ओटीपी को दर्ज करें तो एरर बता रहा है।
उक्त सभी के बाद भी कोई तकनीकी खामी बताने पर शिकायत आसानी से दर्ज नहीं हो पाती। इसे देखते हुए वाहन चालक परेशान हैं कि पहले चालान कटेगा या पहले नंबर प्लेट लगेगी। एचएसआरपी के लिए आवेदन की प्रक्रिया को पूरी तरह ऑनलाइन कर दिया गया है। (RTO Raipur) इसमें मोबाइल नंबर और आरसी बुक अनिवार्य दस्तावेज हैं। आवेदन फॉर्म अंग्रेजी में कई चरण में होने के कारण अधिकांश लोगों की समझ में नहीं आ रहा है।
मोबाइल नंबर अपडेट नहीं है तो लिंक सीधे सेंट्रल सर्वर से जोड़ा जाता है। इसे अपडेट करने के लिए तीन मिनट का एक वीडियो आरटीओ के पेज पर अपलोड किया गया है। लेकिन, वही हिस्सा गायब है जहां वाहन मालिकों को वास्तविक समस्या आ रही है। मोबाइल नंबर अपडेट, लंबा चेसिस व इंजन नंबर भरने, और आधार ओटीपी जनरेट करने के बाद अंत में पूछा जाता है कि पुराने नंबर के स्थान पर कौन-सा नया नंबर जोड़ा जाए।
समस्या यह है कि पुराने वाहन पंजीकरणों में अधिकांश आरसी बुक में मोबाइल नंबर दर्ज ही नहीं किए गए थे। वहीं, कई आरसी बुक ऐसे हैं जिनमें यह भी दर्ज नहीं है कि वाहन का जीवनकाल कितने साल का है। इसके चलते ऑनलाइन आवेदन रिजेक्ट होने के साथ ही वेबसाइट में सलाह डिस्प्ले होती है कि आरटीओ दफ्तर जाएं।
विभाग द्वारा सहायता के लिए 8 मोबाइल नंबर व वेबसाइट cgtransport.gov.in जारी किया गया है। लेकिन. छोटे कारोबारी, ऑटो चालक और अन्य लोग इसके जरिए आवेदन नहीं कर पा रहे हैं। इसके लिए परिवहन सेवा केंद्र और आरटीओ तक दौड़ लगाने के साथ ही अतिरिक्त राशि और समय जाया करना पड़ रहा है।
परिवहन विभाग के सचिव एस प्रकाश ने बताया कि एचएसआरपी लगाने के लिए विभाग की ओर से गली-मोहल्ले से लेकर कॉलोनियों, शासकीय दफ्तरों और अन्य स्थानों में कैंप लगाया जा रहा है। जहां तत्काल पंजीयन कर समस्या का निराकरण किया जा रहा है।
Updated on:
30 Apr 2025 12:37 pm
Published on:
30 Apr 2025 12:25 pm
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