
CG Urban Body Election: छत्तीसगढ़ में हुए लोकसभा चुनाव में सांसद प्रत्याशियों के साथ-साथ महापौर पद के दावेदारों ने भी अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। दावेदारों का खास फोकस शहरी क्षेत्रों में रहा। अब नतीजे उनकी दावेदारों को पुता करने का बड़ा आधार बनेंगे। दरअसल, छत्तीसगढ़ के नगरीय निकायों के चुनाव दिसबर के अंत में प्रस्तावित है। इसके लिए अक्टूबर के दूसरे सप्ताह तक आचार संहिता लागू हो सकती है। यही वजह है कि 4 जून को लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के साथ ही कांग्रेस-भाजपा नगरीय निकाय चुनाव की तैयारियों में जुट जाएंगे।
छत्तीसगढ़ में 14 नगर निगम, 48 नगर पालिका परिषद और 122 नगर पंचायत है। इनमें अधिकांश निकायों में चुनाव होने हैं। हालांकि दिसबर में 10 नगर निगमों में ही चुनाव होगा। नगर निगम बिरगांव, भिलाई, भिलाई-चरोदा और नगर निगम रिसाली में 2025 में चुनाव होंगे। खास बात यह है कि पिछली बार प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के बाद हुए निकाय चुनावों में कांग्रेस का दबदबा था। प्रदेश की 14 नगर निगमों में कांग्रेस का कब्जा है। इस बार भाजपा को इन निगमों में चुनाव जीतने की चुनौती होगी। वहीं कांग्रेस अपना कब्जा बरकार रखने के उद्देश्य से चुनाव मैदान में उतरेगी। पिछली बार की तरह इस बार के चुनाव में प्रदेश के साथ-साथ स्थानीय मुद्दे हावी रहेंगे।
भाजपा सरकार के समय प्रदेश में महापौर और पार्षद चुनने का अधिकार आम जनता को दिया गया था। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने के बाद महापौर चुनने का अधिकार आम जनता से वापस लेकर पार्षदों को दे दिया गया था। वहीं कांग्रेस सरकार के समय महापौर और पार्षद का चुनाव मतपत्र से हुआ था। जबकि भाजपा शासन के समय ईवीए से चुनाव होते हैं। बताया जाता है कि भाजपा एक बार फिर इन नियनों में बदलाव कर सकती है। फिलहाल प्रशासनिक स्तर पर इसे लेकर सलाह ली जा रही है। एक-दो महीने में ही इसे लेकर फैसला हो सकता है।
बताया जाता है कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भाजपा कुछ महत्वपूर्ण लालबत्ती का बंटवारा कर सकती है। आधे से ज्यादा लालबत्ती का बंटवारा नगरीय निकाय चुनाव के बाद ही होगा। दरअसल, लालबत्ती के कुछ दावेदार महापौर का चुनाव भी लड़ना चाहते हैं। ऐसे में जिन्हें महापौर का टिकट नहीं मिल पाएगा, उन्हें संतुष्ट करने के लिए लालबत्ती दी जा सकती है। वहीं भाजपा नहीं चाहती है, कि निकाय चुनाव से पहले लाल बत्ती को लेकर वरिष्ठ नेताओं और कार्यकर्ताओं में असंतोष पैदा हो।
प्रदेश में जून 2025 को त्रि-स्तरीय पंचायतों के चुनाव होने हैं। इस चुनाव में भी राजनीतिक दलों की परीक्षा होगी। हालांकि यह चुनाव राजनीतिक दलों के चुनाव चिह्न पर नहीं लड़ा जाता है। इसके बावजूद प्रत्याशियों को पार्टी का सीधा समर्थन रहता है।
Published on:
11 May 2024 07:04 pm
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